यांगून

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 04:25, 24 July 2012 by फ़ौज़िया ख़ान (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

thumb|250px|श्वेडागोन पगोडा, यांगून यांगून म्यांमार की पुरानी राजधानी है। पहले यह 'रंगून' के नाम से प्रसिद्ध थी। वर्तमान समय में यह म्यांमार का सबसे बड़ा शहर है। यांगून दक्षिणी म्यांमार के मध्यवर्ती भाग में, रंगून नदी के किनारे, मर्तबान की खाड़ी तथा इरावती नदी के मुहाने से 20 मील उत्तर में, सागरतल से केवल 20 फुट की ऊँचाई पर स्थित है, जो कि सबसे बड़ा नगर तथा प्रमुख बंदरगाह है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 99.6 इंच होती है। समीपवर्ती क्षेत्र में धान की कृषि अधिक मात्रा में होती है।

भारतीय इतिहास में भी इस शहर की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मुग़ल बादशाह बहादुरशाह ज़फ़र की मृत्यु 86 वर्ष की अवस्था में 7 नवंबर, 1862 ई. को यांगून में ही हुई और उसे यहीं पर दफनाया गया था।

निर्यात

बंदरगाह से चावल, टीक तथा अन्य लकड़ियाँ, खालें, पेट्रोलियम से निर्मित पदार्थ तथा चाँदी, सीसा, जस्ता तथा ताँबे की वस्तुओं का निर्यात होता है। वायुमार्ग, नदीमार्ग तथा रेलमार्ग यातायात के प्रमुख साधन हैं। thumb|250px|left|यांगून सेंट्रल रेलवे स्टेशन

उद्योग और शिक्षा

विद्युत संस्थान, रेशमी एवं ऊनी कपड़े, लकड़ी चिराई का काम, रेलवे के सामान, जलयान निर्माण तथा मत्स्य उद्योग में काफ़ी उन्नति हो गई है। यहाँ पर सभी आधुनिक वस्तुएँ जैसे बड़े-बड़े होटल, सिनेमाघर, भंडार, पगोडा, गिरजाघर, पार्क, वनस्पतिक उद्यान, अजायबघर तथा विश्वविद्यालय आदि हैं।

इमारत

यहाँ की सबसे प्रमुख इमारत श्वेडागोन पगोडा है, जो सागर तल से 168 फुट की ऊँचाई पर बना है। यह पगोडा 368 फुट ऊँचा, 900 फुट लंबा तथा 685 फुट चौड़ा है तथा इसके ऊपर सोने की पन्नी चढ़ी हुई है। इस नगर को युद्ध तथा ज्वालामुखी के विस्फोटों से काफ़ी हानि उठानी पड़ी है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः