यच

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:29, 27 July 2012 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "{{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "{{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भि�)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

[[चित्र:yaksha-1.jpg|यक्ष
Yaksha
राजकीय संग्रहालय, मथुरा|thumb|200px]]

  • यच यक्ष जाति का ही एक रूप है। एक अर्ध देवयोनि यक्ष (नपुंसक लिंग) का उल्लेख ऋग्वेद में हुआ है। यक्ष की प्राचीन मूर्ति मथुरा में खनन के समय प्राप्त हुई थी, जो मथुरा संग्रहालय में है।
  • यच एक कल्पित भूतयोनि है। सम्भवत: 'यक्ष' का ही यह एक प्राकृत रूप है। यह दानवों में विश्वास करती है तथा उन्हें 'यच' कहती है।

पौराणिक व धार्मिक मान्यता

  • यच बड़े आकार के होते हैं, प्रत्येक के एक ही आँख ललाट के मध्य होती है।
  • जब ये मानव वेश धारण करते हैं तो उन्हें उनके उल्टे पैरों से पहचाना जा सकता है।
  • ये केवल रात को ही चलते हैं तथा पहाड़ों पर राज्य करते हुए मनुष्यों की खेती को हानि पहुँचाते हैं।
  • ये प्राय: मनुष्यों को अपनी दरारों में खींच ले जाते हैं। किन्तु लोगों के इस्लाम धर्म ग्रहण करने से उन्होंने उन पर से अपना स्वामित्व भाव त्याग दिया है तथा अब कभी-कभी ही मनुष्यों को परेशान करते हैं।
  • ये सभी क्रूर नहीं होते, विवाह के अवसर पर ये मनुष्यों से धन उधार लेते हैं तथा उसे धीरे-धीरे ऋण देने वाले की अज्ञात अवस्था में ही पूरा चुका देते हैं। ऐसे अवसर पर वे मनुष्यों पर दयाभाव रखते हैं।
  • इनकी परछाई यदि मनुष्य पर पड़े तो वह पागल हो जाता है।
  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः