गीता 10:26

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गीता अध्याय-10 श्लोक-26 / Gita Chapter-10 Verse-26


अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारद: ।
गन्धर्वाणां चित्ररथ: सिद्धानां कपिलो मुनि: ।।26।।



मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष, देवर्षियों में नारद[1] मुनि, गन्धर्वों में चित्ररथ[2] और सिद्धों में कपिल[3] मुनि हूँ ।।26।।

Among all trees, I am the Asvattha ( the holy fig tree); among the celestial sages, Narada; among the gandharvas (celestial musicians), Chitraratha; and among the siddhas, I am the sage Kapila. (26)


सर्ववृक्षाणाम् = सब वृक्षों में; अश्वत्थ: = पीपल का वृक्ष; देवर्षीणाम् = देवऋषियों में; नारद: = नारदमुनि(तथा); गन्धर्वाणाम् = गन्धर्वों में; चित्ररथ: = चित्ररथ(और); सिद्धानाम् = सिद्धों में; कपिल: = कपिल; मुनि: मुनि



अध्याय दस श्लोक संख्या
Verses- Chapter-10

1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नारद मुनि, हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक हैं।
  2. चित्ररथ ने प्रत्येक पांडव को गंधर्वलोक के सौ-सौ घोड़े प्रदान किये जो स्वेच्छा से आकार-प्रकार तथा रंग बदलने में समर्थ थे।
  3. वनवास के समय जल की खोज में थके-मांदे राम, सीता और लक्ष्मण कपिल मुनि की कुटिया में ही पहुंचे थे।

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