गीता 7:8: Difference between revisions

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'''प्रणव: सर्ववेदेषु शब्द: खे पौरूषं नृषु ।।8।।'''
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हे <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था।
हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! मैं जल में रस हूँ, [[चन्द्रमा देवता|चन्द्रमा]]<ref>पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी [[अत्रि]] और [[अनुसूया]] की संतान बताया गया है, जिसका नाम '[[सोम देव|सोम]]' है।</ref> और [[सूर्य देव|सूर्य]]<ref>सूर्य महर्षि [[कश्यप]] के पुत्र हैं। वे कश्यप की पत्नी [[अदिति]] के गर्भ से उत्पन्न हुए थे।</ref> में प्रकाश हूँ, सम्पूर्ण [[वेद|वेदों]]<ref>वेद [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।</ref> में ओंकार हूँ तथा [[आकाश]] में शब्द और पुरुषों में पुरुषत्व हूँ ।।8।।
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कौन्तेय = हे अर्जुन; अप्सु = जल में; अहम् = मैं; रस: = रस हूं (तथा); शशिसूर्ययो: = चन्द्रामा और सूर्य में;  प्रभा = प्रकाश; अस्मि = हूं(और); सर्ववेदेषु =संपूर्ण वेदों में; प्रणव: = ओंकार हूं (तथा); खे=आकाश में; शब्द: = शब्द; नृषु = पूरूषों में;पौरूषम् = पुरुषत्व हूं  
कौन्तेय = हे अर्जुन; अप्सु = जल में; अहम् = मैं; रस: = रस हूं (तथा); शशिसूर्ययो: = चन्द्रामा और सूर्य में;  प्रभा = प्रकाश; अस्मि = हूं(और); सर्ववेदेषु =संपूर्ण वेदों में; प्रणव: = ओंकार हूं (तथा); खे=आकाश में; शब्द: = शब्द; नृषु = पूरुषों में;पौरुषम् = पुरुषत्व हूं  
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Latest revision as of 07:52, 5 January 2013

गीता अध्याय-7 श्लोक-8 / Gita Chapter-7 Verse-8


रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययो: ।
प्रणव: सर्ववेदेषु शब्द: खे पौरुषं नृषु ।।8।।



हे अर्जुन[1] ! मैं जल में रस हूँ, चन्द्रमा[2] और सूर्य[3] में प्रकाश हूँ, सम्पूर्ण वेदों[4] में ओंकार हूँ तथा आकाश में शब्द और पुरुषों में पुरुषत्व हूँ ।।8।।

Arjuna, I am the sapidity in water and the light of the moon and the sun; I am the sacred syllable OM in all the Vedas, the sound in ether; and the manlinss in men.(8)


कौन्तेय = हे अर्जुन; अप्सु = जल में; अहम् = मैं; रस: = रस हूं (तथा); शशिसूर्ययो: = चन्द्रामा और सूर्य में; प्रभा = प्रकाश; अस्मि = हूं(और); सर्ववेदेषु =संपूर्ण वेदों में; प्रणव: = ओंकार हूं (तथा); खे=आकाश में; शब्द: = शब्द; नृषु = पूरुषों में;पौरुषम् = पुरुषत्व हूं



अध्याय सात श्लोक संख्या
Verses- Chapter-7

1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29, 30

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था।
  2. पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी अत्रि और अनुसूया की संतान बताया गया है, जिसका नाम 'सोम' है।
  3. सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए थे।
  4. वेद हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।

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