सुलयमान पर्वत: Difference between revisions

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*इस श्रृंखला के सबसे प्रसिद्ध शिखर [[बलूचिस्तान]] में स्थित 3,487 मीटर ऊँचा 'तख़्त​-ए-सुलयमान', 3,444 मीटर ऊँचा 'केसई ग़र' और क्वेटा के पास स्थित 3,578 मीटर ऊँचा 'ज़रग़ुन ग़र' हैं।
*इस श्रृंखला के सबसे प्रसिद्ध शिखर [[बलूचिस्तान]] में स्थित 3,487 मीटर ऊँचा 'तख़्त​-ए-सुलयमान', 3,444 मीटर ऊँचा 'केसई ग़र' और क्वेटा के पास स्थित 3,578 मीटर ऊँचा 'ज़रग़ुन ग़र' हैं।
*सुलयमान पर्वतों से उत्तर में [[हिन्दुकुश]] के ऊँचे और शुष्क इलाक़े हैं, जहाँ अधिकतर ज़मीन 2,000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर है।
*सुलयमान पर्वतों से उत्तर में [[हिन्दुकुश]] के ऊँचे और शुष्क इलाक़े हैं, जहाँ अधिकतर ज़मीन 2,000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर है।
*[[हिन्द महासागर]] से आने वाली नाम हवाएँ यहीं तक पहुँच पाती हैं और इस से आगे मध्य और दक्षिण का इलाका ख़ुश्क है। इसके विपरीत सुलयमान पर्वतों से पूर्व और दक्षिण का इलाक़े में [[सिन्धु नदी]] का नदीमुख ([[डेल्टा]]) है, जहाँ अक्सर [[बाढ़]] आती हैं और हर जगह जंगली झाड़-घास फैली हुई है।<ref>{{cite web |url= http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A4|title= सुलयमान पर्वत|accessmonthday=18 जून|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=|language=हिन्दी}}</ref>
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सुलयमान पर्वत दक्षिण-पूर्व अफ़ग़ानिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के उत्तर भाग में स्थित है। यह एक प्रमुख पर्वत श्रृंखला है। इस पर्वत श्रृंखला को 'कोह-ए-सुलयमान' भी कहा जाता है। 'डोरी' और 'गोमल' नाम की दो नदियाँ इस पर्वत से निकलती हैं।

  • अफ़ग़ानिस्तान में यह पर्वत श्रृंखला ज़ाबुल, लोया पकतिया और कंदहार (उत्तर-पूर्वी भाग) क्षेत्रों में विस्तृत है।
  • सुलयमान पर्वत ईरान के पठार का पूर्वी छोर है और भौगोलिक रूप से उसे भारतीय उपमहाद्वीप से विभाजित करता है।
  • इस श्रृंखला के सबसे प्रसिद्ध शिखर बलूचिस्तान में स्थित 3,487 मीटर ऊँचा 'तख़्त​-ए-सुलयमान', 3,444 मीटर ऊँचा 'केसई ग़र' और क्वेटा के पास स्थित 3,578 मीटर ऊँचा 'ज़रग़ुन ग़र' हैं।
  • सुलयमान पर्वतों से उत्तर में हिन्दुकुश के ऊँचे और शुष्क इलाक़े हैं, जहाँ अधिकतर ज़मीन 2,000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर है।
  • हिन्द महासागर से आने वाली नाम हवाएँ यहीं तक पहुँच पाती हैं और इस से आगे मध्य और दक्षिण का इलाका ख़ुश्क है। इसके विपरीत सुलयमान पर्वतों से पूर्व और दक्षिण का इलाक़े में सिन्धु नदी का नदीमुख (डेल्टा) है, जहाँ अक्सर बाढ़ आती हैं और हर जगह जंगली झाड़-घास फैली हुई है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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