गीता 11:39: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - "वरूण" to "वरुण") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "सृष्टा" to "स्रष्टा") |
||
(3 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
Line 22: | Line 21: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
आप [[वायु देव|वायु]], < | आप [[वायु देव|वायु]], [[यमराज]]<ref>यमराज जीवों के शुभाशुभ कर्मों के निर्णायक हैं।</ref>, [[अग्नि देव|अग्नि]]<ref>अग्निदेवता [[यज्ञ]] के प्रधान अंग हैं। ये सर्वत्र [[प्रकाश]] करने वाले एवं सभी पुरुषार्थों को प्रदान करने वाले हैं।</ref>, [[वरुण देवता|वरुण]]<ref>वरुण [[जल]] के स्वामी तथा सम्पूर्ण सम्राटों के सम्राट हैं।</ref>, [[चन्द्रमा देवता|चन्द्रमा]]<ref>पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी [[अत्रि]] और [[अनुसूया]] की संतान बताया गया है, जिसका नाम 'सोम' है।</ref>, प्रजा के स्वामी [[ब्रह्मा]]<ref>सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, [[विष्णु]] एवं [[शिव]] की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य स्रष्टा, प्रजापति, पितामह तथा हिरण्यगर्भ हैं।</ref> और ब्रह्म के भी पिता हैं। आपके लिये हज़ारों बार नमस्कार ! नमस्कार हो !! आपके लिये फिर भी बार-बार नमस्कार ! नमस्कार ! ।।39।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
Line 35: | Line 31: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
त्वम् = आप; अग्नि: = अग्नि; शशाक्ड: = चन्द्रमा(तथा); प्रजापति: = प्रजा के स्वामी ब्रह्रा; प्रपितामह: = ब्रह्राके भी पिता; ते = आपके लिये; सहस्त्रकृत्व: = | त्वम् = आप; अग्नि: = अग्नि; शशाक्ड: = चन्द्रमा(तथा); प्रजापति: = प्रजा के स्वामी ब्रह्रा; प्रपितामह: = ब्रह्राके भी पिता; ते = आपके लिये; सहस्त्रकृत्व: = हज़ारों बार; नम: = नमस्कार; अस्तु = होवे; ते = आपके लिये; भूय: =फिर; पुन: च = बारम्बार | ||
|- | |- | ||
|} | |} | ||
Line 59: | Line 55: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | {{गीता2}} | ||
</td> | </td> |
Latest revision as of 07:28, 7 November 2017
गीता अध्याय-11 श्लोक-39 / Gita Chapter-11 Verse-39
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
||||