प्रांगण:मुखपृष्ठ/भाषा: Difference between revisions
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*भाषा के सर्वांगीण मानकीकरण का प्रश्न सबसे पहले 1950 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने ही उठाया। | *भाषा के सर्वांगीण मानकीकरण का प्रश्न सबसे पहले 1950 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने ही उठाया। | ||
*'''केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय''' ने लिपि के मानकीकरण पर अधिक ध्यान दिया और '[[देवनागरी लिपि]]' तथा 'हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण' (1983 ई.) का प्रकाशन किया। '''[[हिन्दी|.... और पढ़ें]]''' | *'''केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय''' ने लिपि के मानकीकरण पर अधिक ध्यान दिया और '[[देवनागरी लिपि]]' तथा 'हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण' (1983 ई.) का प्रकाशन किया। '''[[हिन्दी|.... और पढ़ें]]''' | ||
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| style="border:1px solid #a6d4f7;padding:10px; background:#f4faff; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px; " valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#cce9ff; border:thin solid #a6d4f7">'''चयनित लेख'''</div> | |||
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[देवनागरी लिपि]]'''</div> | |||
<div id="rollnone"> [[चित्र:Devnagari.jpg|right|150px|देवनागरी लिपि|link=देवनागरी लिपि]] </div> | |||
*देवनागरी लिपि [[भारत]] में सर्वाधिक प्रचलित लिपि है जिसमें [[संस्कृत]], [[हिंदी]] और [[मराठी भाषा|मराठी]] भाषाएँ लिखी जाती हैं। | |||
*देवनागरी शब्द का '''सबसे पहला उल्लेख 453 ई. में [[जैन]] ग्रंथों में मिलता है'''। एक अन्य मत के अनुसार, [[गुजरात]] के नागर [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] द्वारा सर्वप्रथम उपयोग किये जाने के कारण इसका नाम 'नागरी' पड़ा। | |||
*देवनागरी लिपि, '''भाषा [[विज्ञान]] की शब्दावली में यह 'अक्षरात्मक' लिपि कहलाती''' है। यह विश्व में प्रचलित सभी लिपियों की अपेक्षा अधिक पूर्णतर है। प्रत्येक ध्वनि संकेत यथावत लिखा जाता है। | |||
*देवनागरी लिपि में कुल '''52 अक्षर हैं, जिसमें 14 [[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] और 38 [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]]''' हैं। [[अक्षर|अक्षरों]] की क्रम व्यवस्था (विन्यास) भी बहुत ही वैज्ञानिक है। | |||
*देवनागरी को '''[[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] चिह्नों के बिना भी लिखा जाता रहा है'''। यह एक ध्वन्यात्मक लिपि है जो प्रचलित लिपियों (रोमन, [[अरबी भाषा|अरबी]], चीनी आदि) में सबसे अधिक वैज्ञानिक है। | |||
*देवनागरी की विशेषता '''अक्षरों के शीर्ष पर लंबी क्षैतिज रेखा है''', जो आधुनिक उपयोग में सामान्य तौर पर जुड़ी हुई होती है, जिससे लेखन के दौरान शब्द के ऊपर अटूट क्षैतिक रेखा का निर्माण होता है। | |||
*देवनागरी लिपि, लेखन की दृष्टि से सरल और वाचन की दृष्टि से सुपाठ्य है। '''देवनागरी को बाएं से दाहिनी ओर लिखा जाता है।''' '''[[देवनागरी लिपि|.... और पढ़ें]]''' | |||
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Revision as of 12:25, 11 February 2011
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