महिपाल: Difference between revisions

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*[[महेन्द्र पाल]] के बाद [[गुर्जर प्रतिहार वंश]] का शासक '''महिपाल''' (914-944 ई.) हुआ।
*[[महेन्द्र पाल]] के बाद [[गुर्जर प्रतिहार वंश]] का शासक '''महिपाल''' (914-944 ई.) था।
*सम्भवतः उसके शासन काल के दौरान (915-916 ई.) में ही बग़दाद निवासी 'अलमसूदी' [[गुजरात]] आया था।
*सम्भवतः उसके शासन काल के दौरान (915-916 ई.) में ही बग़दाद निवासी 'अलमसूदी' [[गुजरात]] आया था।
*अलमसूदी ने गुर्जर प्रतिहारों को 'अलगुर्जर' एवं राजा को 'बौरा' कहा था।
*अलमसूदी ने [[गुर्जर]] प्रतिहारों को 'अलगुर्जर' एवं राजा को 'बौरा' कहा था।
*महिपाल के शासन काल में लगभग 915-918 ई में [[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूट]] नरेश [[इन्द्र तृतीय]] ने [[कन्नौज]] पर आक्रमण कर नगर को उजाड़ दिया।
*महिपाल के शासन काल में लगभग 915-918 ई में [[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूट]] नरेश [[इन्द्र तृतीय]] ने [[कन्नौज]] पर आक्रमण कर नगर को उजाड़ दिया।
*पुनः लगभग 963 ई. में [[कृष्ण तृतीय]] ने गुर्जर प्रतिहार वंश के अधिकार से मध्य [[भारत]] के क्षेत्र को छीन लिया, इससे कन्नौज का केन्द्रीय शक्ति के रूप में ह्मस हो गया।
*पुनः लगभग 963 ई. में [[कृष्ण तृतीय]] ने गुर्जर प्रतिहार वंश के अधिकार से मध्य [[भारत]] के क्षेत्र को छीन लिया, इससे कन्नौज का केन्द्रीय शक्ति के रूप में ह्मस हो गया।
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*1018 ई. में जब [[महमूद गज़नवी]] ने कन्नौज पर आक्रमण किया, तो महिपाल कन्नौज छोड़कर भाग खड़ा हुआ।
*1018 ई. में जब [[महमूद गज़नवी]] ने कन्नौज पर आक्रमण किया, तो महिपाल कन्नौज छोड़कर भाग खड़ा हुआ।
*इसके बाद उसने [[गंगा नदी|गंगा]] पार कर 'बारी' में अपनी राजधानी बनाई।
*इसके बाद उसने [[गंगा नदी|गंगा]] पार कर 'बारी' में अपनी राजधानी बनाई।
*उसके इस कायरपन से दुःखी होकर [[चन्देल वंश|चन्देल]] शासक [[गंडदेव]] ने उसकी हत्या कर दी तथा 'त्रिलोचन पाल' को राजा बनाया।
*उसके इस कायरपन से दुःखी होकर [[चन्देल वंश|चन्देल]] शासक गंडदेव ने उसकी हत्या कर दी तथा 'त्रिलोचन पाल' को राजा बनाया।
*त्रिलोचन पाल बस एक नाममात्र का ही शासक था।
*त्रिलोचन पाल बस एक नाममात्र का ही शासक था।
*1036 ई. में [[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूटों]] ने [[कन्नौज]] पर अधिकार कर लिया।
*1036 ई. में राष्ट्रकूटों ने कन्नौज पर अधिकार कर लिया।
*अन्ततः प्रतिहारों के सामंत [[गुजरात]] के [[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्य]] जेजाकभुक्ति के [[चन्देल वंश|चंदेल]], [[ग्वालियर]] के कच्छपघात, मध्य [[भारत]] के [[कलचुरी वंश|कलचुरी]], [[मालवा]] के [[परमार वंश|परमार]], दक्षिण [[राजस्थान]] के गुहिल, शाकंभरी के [[चौहान वंश|चौहान]] आदि क्षेत्रीय स्तर पर स्वतन्त्र हो गये।
*अन्ततः प्रतिहारों के सामंत [[गुजरात]] के [[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्य]] 'जेजाकभुक्ति' के चंदेल, [[ग्वालियर]] के 'कच्छपघात', मध्य [[भारत]] के [[कलचुरी वंश|कलचुरी]], [[मालवा]] के [[परमार वंश|परमार]], दक्षिण [[राजस्थान]] के गुहिल, शाकंभरी के [[चौहान वंश|चौहान]] आदि क्षेत्रीय स्तर पर स्वतन्त्र हो गये।
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*गुर्जर प्रतिहारों ने विदेशियों के आक्रमण के समय [[भारत]] के द्वारपाल की भूमिका निभाई।
*प्रतिहार शासकों के पास भारत में सर्वोत्तम अश्वरोही सैनिक थे। उस समय मध्य [[एशिया]] और [[अरब]] से घोड़ों का आयात व्यापार का एक महत्त्वपूर्ण अंग था।
*प्रतिहार शासकों के पास भारत में सर्वोत्तम अश्वरोही सैनिक थे। उस समय मध्य [[एशिया]] और [[अरब]] से घोड़ों का आयात व्यापार का एक महत्त्वपूर्ण अंग था।
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*गुर्जर प्रतिहार के अधीन [[ब्राह्मण]] धर्म का अत्यधिक विकास हुआ। [[वैष्णव]] सम्प्रदाय सबसे अधिक प्रचलित था।
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Revision as of 09:57, 21 April 2011

  • महेन्द्र पाल के बाद गुर्जर प्रतिहार वंश का शासक महिपाल (914-944 ई.) था।
  • सम्भवतः उसके शासन काल के दौरान (915-916 ई.) में ही बग़दाद निवासी 'अलमसूदी' गुजरात आया था।
  • अलमसूदी ने गुर्जर प्रतिहारों को 'अलगुर्जर' एवं राजा को 'बौरा' कहा था।
  • महिपाल के शासन काल में लगभग 915-918 ई में राष्ट्रकूट नरेश इन्द्र तृतीय ने कन्नौज पर आक्रमण कर नगर को उजाड़ दिया।
  • पुनः लगभग 963 ई. में कृष्ण तृतीय ने गुर्जर प्रतिहार वंश के अधिकार से मध्य भारत के क्षेत्र को छीन लिया, इससे कन्नौज का केन्द्रीय शक्ति के रूप में ह्मस हो गया।
  • राज्यपाल के समय तक गुर्जर प्रतिहारों की शक्ति कन्नौज के आस-पास तक सिमट कर रह गयी।
  • 1018 ई. में जब महमूद गज़नवी ने कन्नौज पर आक्रमण किया, तो महिपाल कन्नौज छोड़कर भाग खड़ा हुआ।
  • इसके बाद उसने गंगा पार कर 'बारी' में अपनी राजधानी बनाई।
  • उसके इस कायरपन से दुःखी होकर चन्देल शासक गंडदेव ने उसकी हत्या कर दी तथा 'त्रिलोचन पाल' को राजा बनाया।
  • त्रिलोचन पाल बस एक नाममात्र का ही शासक था।
  • 1036 ई. में राष्ट्रकूटों ने कन्नौज पर अधिकार कर लिया।
  • अन्ततः प्रतिहारों के सामंत गुजरात के चालुक्य 'जेजाकभुक्ति' के चंदेल, ग्वालियर के 'कच्छपघात', मध्य भारत के कलचुरी, मालवा के परमार, दक्षिण राजस्थान के गुहिल, शाकंभरी के चौहान आदि क्षेत्रीय स्तर पर स्वतन्त्र हो गये।
  • गुर्जर प्रतिहारों ने विदेशियों के आक्रमण के समय भारत के द्वारपाल की भूमिका निभाई।
  • प्रतिहार शासकों के पास भारत में सर्वोत्तम अश्वरोही सैनिक थे। उस समय मध्य एशिया और अरब से घोड़ों का आयात व्यापार का एक महत्त्वपूर्ण अंग था।
  • गुर्जर प्रतिहार के अधीन ब्राह्मण धर्म का अत्यधिक विकास हुआ। वैष्णव सम्प्रदाय सबसे अधिक प्रचलित था।
  • बौद्ध धर्म अपने अवनति पर था। जैन धर्म मुख्यतः राजपूताना एवं पश्चिमी भारत तक ही सीमित था।


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