वसु: Difference between revisions
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*श्रीमद्भागवत के अनुसार [[दक्ष|दक्ष प्रजापति]] की पुत्री तथा धर्म की पत्नी 'वसु' के गर्भ से ही सब वसु उत्पन्न हुए थे। | *श्रीमद्भागवत के अनुसार [[दक्ष|दक्ष प्रजापति]] की पुत्री तथा धर्म की पत्नी 'वसु' के गर्भ से ही सब वसु उत्पन्न हुए थे। |
Revision as of 11:15, 4 October 2011
- धर
- ध्रुव
- सोम
- विष्णु
- अनिल
- अनल
- प्रत्यूष
- प्रभास
- श्रीमद्भागवत के अनुसार द्रोण, प्राण, ध्रुव, अर्क, अग्नि, दोष, वसु और विभावसु आठ नाम हैं।
- श्रीमद्भागवत के अनुसार दक्ष प्रजापति की पुत्री तथा धर्म की पत्नी 'वसु' के गर्भ से ही सब वसु उत्पन्न हुए थे।
- श्रीमद्भागवत के अनुसार अपनी गाय नंदिनी को चुरा लेने के कारण वसिष्ठ ने वसुओं को मनुष्य योनि में उत्पन्न होने का शाप दिया था। वसुओं के अनुनय विनय करने पर सात वसुओं शाप की अवधि केवल एक वर्ष कर दी। द्यो नाम के वसु ने अपनी पत्नी के बहकावे में आकर उनकी धेनु का अपहरण किया था। अत: उन्हें दीर्घकाल तक मनुष्य योनि में रहने तथा संतान उत्पन्न न करने, महान विद्वान और वीर होने तथा स्त्रीभोगपरित्यागी होने को कहा। इसी शाप के अनुसार इनका जन्म शांतनु की पत्नी गंगा के गर्भ से हुआ। सात को गंगा ने जल में फेंक दिया, आठवें भीष्म थे जिन्हें बचा लिया गया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत आदि पर्व 99.6-9,29-41