ग्यांत्से: Difference between revisions
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'''ग्यांत्से''' [[तिब्बत]] में सांगपो ([[ब्रह्मपुत्र नदी]]) की घाटी में स्थित एक नगर है। किसी समय यह नगर व्यापक व्यापार और वितरण का केंद्र हुआ करता था। ऊनी कपड़ों और अच्छे कालीन आदि के लिए ग्यांत्से विशेष रूप से प्रसिद्ध है।<ref>{{cite web |url=http:// | '''ग्यांत्से''' [[तिब्बत]] में सांगपो ([[ब्रह्मपुत्र नदी]]) की घाटी में स्थित एक नगर है। किसी समय यह नगर व्यापक व्यापार और वितरण का केंद्र हुआ करता था। ऊनी कपड़ों और अच्छे कालीन आदि के लिए ग्यांत्से विशेष रूप से प्रसिद्ध है।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%87|title=ग्यांत्से|accessmonthday=18 अप्रैल|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
*यह नगर तिब्बत में 'सांगपो' के नाम से जानी जाने वाली [[ब्रह्मपुत्र नदी]] की घाटी में 12,895 फुट की ऊँचाई पर [[ल्हासा]] से 100 मील दक्षिण-पश्चिम तथा शिगत्से से दक्षिण-पूर्व भारतीय सीमा से 130 मील की दूरी पर स्थित नगर है। | *यह नगर तिब्बत में 'सांगपो' के नाम से जानी जाने वाली [[ब्रह्मपुत्र नदी]] की घाटी में 12,895 फुट की ऊँचाई पर [[ल्हासा]] से 100 मील दक्षिण-पश्चिम तथा शिगत्से से दक्षिण-पूर्व भारतीय सीमा से 130 मील की दूरी पर स्थित नगर है। |
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ग्यांत्से तिब्बत में सांगपो (ब्रह्मपुत्र नदी) की घाटी में स्थित एक नगर है। किसी समय यह नगर व्यापक व्यापार और वितरण का केंद्र हुआ करता था। ऊनी कपड़ों और अच्छे कालीन आदि के लिए ग्यांत्से विशेष रूप से प्रसिद्ध है।[1]
- यह नगर तिब्बत में 'सांगपो' के नाम से जानी जाने वाली ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में 12,895 फुट की ऊँचाई पर ल्हासा से 100 मील दक्षिण-पश्चिम तथा शिगत्से से दक्षिण-पूर्व भारतीय सीमा से 130 मील की दूरी पर स्थित नगर है।
- ऐतिहासिक रूप से ग्यांत्से, ल्हासा और शिगात्से के बाद तिब्बत का तीसरा सबसे बड़ा शहर हुआ करता था, लेकिन अब तिब्बत में ग्यांत्से से बड़े दस और नगर हैं।
- यह चुम्बी घाटी, यातोंग और सिक्किम से आने वाले ऐतिहासिक व्यापारिक मार्गों पर स्थित है।
- ग्यांत्से ऊनी कपड़े और कालीन के लिये विशेष प्रसिद्ध है। किसी समय यह नगर एक व्यापक व्यापार और वितरण का केंद्र था।
- यहाँ भारत, भूटान, लद्दाख, सिक्किम तथा मध्य एशिया से ल्हासा की सड़कें मिलती हैं।
- लद्दाख, नेपाल और ऊपरी तिब्बत से आने वाले कारवाँ यहाँ सोना, सुहागा, नमक, ऊन, समूर और कस्तूरी ले आते थे तथा इनके बदले में चाय, तंबाकू, चीनी, सूती कपड़े, बनात या दोहरे अर्ज का बढ़िया गरम कपड़ा तथा लोहे की वस्तुएँ ले जाते थे।
- सन 1904 के ब्रिटिश अभियान में अधिकृत किया जाने वाला यह प्रथम नगर था। जब से तिब्बत चीनियों के अधिकार में आया, तब से यहाँ के व्यापार की स्थिति का ज्ञान नहीं है। भारत से तो इसका संबंध बिलकुल छूट ही गया है।
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