तित्तिरि (अश्व)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:52, 5 July 2016 by नवनीत कुमार (talk | contribs) ('{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=तित्तिरि|लेख का नाम=ति...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Disamb2.jpg तित्तिरि एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- तित्तिरि (बहुविकल्पी)

तित्तिरि का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। यह महाभारतकालीन एक प्रकार के घोड़े का नाम था।[1]

  • महाभारत सभा पर्व में उल्लेख मिलता है कि वीर पाण्डवश्रेष्ठ अर्जुन धवलगिरि को लाँघकर द्रुमपुत्र के द्वारा सुरक्षित किम्पुरुष देश में गये, जहाँ किन्नरों का निवास था। वहाँ क्षत्रियों का विनाश करने वाले भारी संग्राम के द्वारा उन्होंने उस देश को जीत लिया और कर देते रहने की शर्त पर उस राजा को पुन: उसी राज्य पर प्रतिष्ठित कर दिया। किन्नर देश को जीतकर शान्तचित्त इन्द्रकुमार ने सेना के साथ गुह्मकों द्वारा सुरक्षित हाटक देश पर हमला किया। और उन गुह्यकों को सामनीति से समझा बुझाकर ही वश में कर लेने के पश्चात वे परम उत्तम मानसरोवर पर गये। वहां कुरुनन्दन अर्जुन ने समस्त ऋषि कुल्याओं (ऋषियों के नाम से प्रसिद्ध जल स्त्रोतों) का दर्शन किया। मानसरोवर पर पहुँचकर शक्तिशाली पाण्डुकुमार ने हाटक देश के निकटवर्ती गन्धर्वों द्वारा सुरक्षित प्रदेश पर भी अधिकार प्राप्त कर लिया। वहाँ गन्धर्व नगर से उन्होंने उस समय कर के रूप में तित्तिरि, कल्माष और मण्डूक नाम वाले बहुत से उत्तम घोड़े प्राप्त किये थे।[2]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस.पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 125 |
  2. महाभारत सभा पर्व |अनुवादक: साहित्याचार्य पण्डित रामनारायणदत्त शास्त्री पाण्डेय 'राम' |प्रकाशक: गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 746 |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः