अंबष्ठ

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अंबष्ठ नाम के एक प्राचीन जनपद तथा जाति का उल्लेख संस्कृत और पालि साहित्य में अनेक स्थलों पर मिलता है।

'वशातय: शाल्वका: केकयाश्च तथा अंबष्ठा ये त्रिगर्ताश्च मुख्या:[1]

'माद्रारामास्तथाम्बष्ठा पारसीकादयस्तथा'[2]

  • 'बार्हस्पत्य अर्थशास्त्र'[3] में अंबष्ठों के राष्ट्र का वर्णन कश्मीर, हूण देश और सिंध के साथ है।
  • अलक्षेंद्र (सिकंदर) के आक्रमण के समय अंबष्ठनिवासियों के पास शक्तिशाली सेना थी। टॉलमी ने इनको 'अंबुटाई' कहा है।
  • सिकंदर के इतिहास से संबंधित कतिपय ग्रीक और रोमन लेखकों की रचनाओं में भी अंबष्ठ जाति का वर्णन हुआ है। दिओदोरस, कुर्तियस, जुस्तिन तथा तालेमी ने विभिन्न उच्चारणों के साथ इस शब्द का प्रयोग किया है।[4]
  • प्रारंभ में अंबष्ठ जाति युद्धोपजीवी थी। सिकंदर के समय (327 ई. पू.) उसका एक गणतंत्र था और वह चिनाब के दक्षिणी तट पर निवास करती थी।
  • आगे चलकर अंबष्ठों ने संभवत चिकित्साशास्त्र को अपना लिया, जिसका परिज्ञान हमें 'मनुस्मृति' से होता है


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत उद्योग पर्व 30, 23
  2. 2,3,17
  3. टॉमस, पृ. 21
  4. अंबष्ठ (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 12 फरवरी, 2015।

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