समरकन्द: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - " रुख " to " रुख़ ") |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:Registan-Samarkand.jpg|thumb|250px|रिगिस्तान, समरकन्द]] | [[चित्र:Registan-Samarkand.jpg|thumb|250px|रिगिस्तान, समरकन्द]] | ||
'''समरकन्द''' काफ़ी लम्बे समय से [[इतिहास]] के प्रसिद्ध नगरों में से एक रहा है। यह नगर सोवियत संघ में, मध्य [[एशिया]] के [[उज़बेकिस्तान]] में स्थित है। भौगोलिक दृष्टि से भी समरकन्द प्रारम्भ से ही महत्त्वपूर्ण रहा है। इतिहास प्रसिद्ध [[मंगोल]] बादशाह [[तैमूर]] ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। [[बाबर]] ने भी यहाँ का बादशाह बनने के लिए कई बार प्रयास किया, किंतु इस कार्य में वह असफल ही रहा। | '''समरकन्द''' काफ़ी लम्बे समय से [[इतिहास]] के प्रसिद्ध नगरों में से एक रहा है। यह नगर सोवियत संघ में, मध्य [[एशिया]] के [[उज़बेकिस्तान]] में स्थित है। भौगोलिक दृष्टि से भी समरकन्द प्रारम्भ से ही महत्त्वपूर्ण रहा है। इतिहास प्रसिद्ध [[मंगोल]] बादशाह [[तैमूर]] ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। [[बाबर]] ने भी यहाँ का बादशाह बनने के लिए कई बार प्रयास किया, किंतु इस कार्य में वह असफल ही रहा। | ||
*प्राचीन साहित्य में समरकन्द 'मारकंड' नाम से उल्लिखित है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=936|url=}}</ref> | |||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से भी समरकन्द एक महत्त्वपूर्ण नगर है। क्योंकि यह नगर [[रेशम मार्ग]] पर पश्चिम और [[चीन]] के मध्य स्थित था, इसीलिए इसका महत्त्व बहुत ज़्यादा था। ईसा पूर्व 329 में [[सिकंदर]] ने इस नगर पर आक्रमण किया और इसे बहुत नुकसान पहुँचाया। 1221 ई. में इस नगर की रक्षा के लिए 1,10,000 आदमियों ने [[चंगेज़ ख़ाँ]] का मुकाबला किया। 1369 ई. में तैमूर ने इसे अपना निवास-स्थान बनाया। [[भारतीय इतिहास]] में भी इस नगर का महत्व कम नहीं है। बाबर यहाँ का शासक बनने की लगातार चेष्टा करता रहा, किंतु बाद में जब वह विफल हो गया, तो उसे भागकर [[क़ाबुल]] में शरण लेनी पड़ी। यहाँ भी स्थितियाँ अपने अनुकूल न पाकर [[बाबर]] ने [[भारत]] की ओर रुख़ किया और [[दिल्ली]] पर क़ब्ज़ा करने में कामयाब रहा। 18वीं शताब्दी के प्रारंभ में समरकन्द [[चीन]] का भाग रहा, लेकिन बाद में बुखारा के अमीर के अंतर्गत रहा और अंत में सन [[1868]] ई. में [[रूस]] का एक हिस्सा बन गया। | ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से भी समरकन्द एक महत्त्वपूर्ण नगर है। क्योंकि यह नगर [[रेशम मार्ग]] पर पश्चिम और [[चीन]] के मध्य स्थित था, इसीलिए इसका महत्त्व बहुत ज़्यादा था। ईसा पूर्व 329 में [[सिकंदर]] ने इस नगर पर आक्रमण किया और इसे बहुत नुकसान पहुँचाया। 1221 ई. में इस नगर की रक्षा के लिए 1,10,000 आदमियों ने [[चंगेज़ ख़ाँ]] का मुकाबला किया। 1369 ई. में तैमूर ने इसे अपना निवास-स्थान बनाया। [[भारतीय इतिहास]] में भी इस नगर का महत्व कम नहीं है। बाबर यहाँ का शासक बनने की लगातार चेष्टा करता रहा, किंतु बाद में जब वह विफल हो गया, तो उसे भागकर [[क़ाबुल]] में शरण लेनी पड़ी। यहाँ भी स्थितियाँ अपने अनुकूल न पाकर [[बाबर]] ने [[भारत]] की ओर रुख़ किया और [[दिल्ली]] पर क़ब्ज़ा करने में कामयाब रहा। 18वीं शताब्दी के प्रारंभ में समरकन्द [[चीन]] का भाग रहा, लेकिन बाद में बुखारा के अमीर के अंतर्गत रहा और अंत में सन [[1868]] ई. में [[रूस]] का एक हिस्सा बन गया। |
Latest revision as of 11:30, 22 August 2014
thumb|250px|रिगिस्तान, समरकन्द समरकन्द काफ़ी लम्बे समय से इतिहास के प्रसिद्ध नगरों में से एक रहा है। यह नगर सोवियत संघ में, मध्य एशिया के उज़बेकिस्तान में स्थित है। भौगोलिक दृष्टि से भी समरकन्द प्रारम्भ से ही महत्त्वपूर्ण रहा है। इतिहास प्रसिद्ध मंगोल बादशाह तैमूर ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। बाबर ने भी यहाँ का बादशाह बनने के लिए कई बार प्रयास किया, किंतु इस कार्य में वह असफल ही रहा।
- प्राचीन साहित्य में समरकन्द 'मारकंड' नाम से उल्लिखित है।[1]
इतिहास
ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से भी समरकन्द एक महत्त्वपूर्ण नगर है। क्योंकि यह नगर रेशम मार्ग पर पश्चिम और चीन के मध्य स्थित था, इसीलिए इसका महत्त्व बहुत ज़्यादा था। ईसा पूर्व 329 में सिकंदर ने इस नगर पर आक्रमण किया और इसे बहुत नुकसान पहुँचाया। 1221 ई. में इस नगर की रक्षा के लिए 1,10,000 आदमियों ने चंगेज़ ख़ाँ का मुकाबला किया। 1369 ई. में तैमूर ने इसे अपना निवास-स्थान बनाया। भारतीय इतिहास में भी इस नगर का महत्व कम नहीं है। बाबर यहाँ का शासक बनने की लगातार चेष्टा करता रहा, किंतु बाद में जब वह विफल हो गया, तो उसे भागकर क़ाबुल में शरण लेनी पड़ी। यहाँ भी स्थितियाँ अपने अनुकूल न पाकर बाबर ने भारत की ओर रुख़ किया और दिल्ली पर क़ब्ज़ा करने में कामयाब रहा। 18वीं शताब्दी के प्रारंभ में समरकन्द चीन का भाग रहा, लेकिन बाद में बुखारा के अमीर के अंतर्गत रहा और अंत में सन 1868 ई. में रूस का एक हिस्सा बन गया।
स्थिति तथा व्यवसाय
समरकन्द विश्वपटल पर 39° 39' उत्तरी अक्षांश तथा 66° 56' पूर्वी देशान्तर में स्थित है। यह 719 मीटर ऊँचाई पर ज़रफ़ शान की उपजाऊ घाटी में आता है। यहाँ के निवासियों के मुख्य व्यवसासायों में बागवानी, धातु एवं मिट्टी के बरतनों का निर्माण, कपड़ा, रेशम, गेहूँ, चावल, घोड़ा, खच्चर और फल इत्यादि का व्यापार है। शहर के बीच में 'रिगिस्तान' नामक एक चौराहा है, जहाँ पर विभिन्न रंगों के पत्थरों से निर्मित कलात्मक इमारतें विद्यमान हैं। शहर की चारदीवारी के बाहर मंगोल बादशाह तैमूर के प्राचीन महल हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 936 |
संबंधित लेख