प्रांगण:मुखपृष्ठ/भाषा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
No edit summary
Line 106: Line 106:
<categorytree mode=pages>भाषा और लिपि</categorytree>
<categorytree mode=pages>भाषा और लिपि</categorytree>
|}
|}
|-
|}
|
 
 
{{प्रचार}}
{{प्रचार}}
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भाषा साँचे सूची}}
{{भाषा साँचे सूची}}
|}
 
__NOTOC__
__NOTOC__
__NOEDITSECTION__
__NOEDITSECTION__

Revision as of 11:14, 21 June 2011

मुखपृष्ठ गणराज्य इतिहास पर्यटन साहित्य जीवनी दर्शन धर्म संस्कृति भूगोल कला भाषा सभी विषय
  • यहाँ हम भारत की विभिन्न भाषाओं से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है, और दो या अधिक भाषाओं की एक ही लिपि हो सकती है।
  • भाषा संस्कृति का वाहन है और उसका अंग भी। -रामविलास शर्मा
  1. REDIRECTसाँचा:विशेष2

center|70px

  • भाषा वह साधन है, जिसके माध्यम से हम सोचते है और अपने विचारों को व्यक्त करते हैं।
  • मनुष्य अपने विचार, भावनाओं एवं अनुभुतियों को भाषा के माध्यम से ही व्यक्त करता है।
  • भारतकोश पर लेखों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती रहती है जो आप देख रहे वह "प्रारम्भ मात्र" ही है...
विशेष आलेख
  • हिन्दी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय आर्य भाषा है।
  • सन 1991 ई. की जनगणना के अनुसार, 23.342 करोड़ भारतीय हिन्दी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 33.727 करोड़ लोग इसकी लगभग 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं।
  • हिन्दी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रज भाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी शामिल हैं।
  • हिन्दी की आदि जननि संस्कृत है। संस्कृत पालि, प्राकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश तक पहुँचती है।
  • हिन्दी के आधुनिक काल में प्रारम्भ में एक ओर उर्दू का प्रचार होने और दूसरी ओर काव्य की भाषा ब्रजभाषा होने के कारण खड़ी बोली को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ा।
  • भाषा के सर्वांगीण मानकीकरण का प्रश्न सबसे पहले 1950 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने ही उठाया।
  • केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय ने लिपि के मानकीकरण पर अधिक ध्यान दिया और 'देवनागरी लिपि' तथा 'हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण' (1983 ई.) का प्रकाशन किया। .... और पढ़ें
चयनित लेख
  • देवनागरी लिपि भारत में सर्वाधिक प्रचलित लिपि है जिसमें संस्कृत, हिन्दी और मराठी भाषाएँ लिखी जाती हैं।
  • देवनागरी शब्द का सबसे पहला उल्लेख 453 ई. में जैन ग्रंथों में मिलता है। एक अन्य मत के अनुसार, गुजरात के नागर ब्राह्मणों द्वारा सर्वप्रथम उपयोग किये जाने के कारण इसका नाम 'नागरी' पड़ा।
  • देवनागरी लिपि, भाषा विज्ञान की शब्दावली में यह 'अक्षरात्मक' लिपि कहलाती है। यह विश्व में प्रचलित सभी लिपियों की अपेक्षा अधिक पूर्णतर है। प्रत्येक ध्वनि संकेत यथावत लिखा जाता है।
  • देवनागरी लिपि में कुल 52 अक्षर हैं, जिसमें 14 स्वर और 38 व्यंजन हैं। अक्षरों की क्रम व्यवस्था (विन्यास) भी बहुत ही वैज्ञानिक है।
  • देवनागरी को स्वर चिह्नों के बिना भी लिखा जाता रहा है। यह एक ध्वन्यात्मक लिपि है जो प्रचलित लिपियों (रोमन, अरबी, चीनी आदि) में सबसे अधिक वैज्ञानिक है।
  • देवनागरी की विशेषता अक्षरों के शीर्ष पर लंबी क्षैतिज रेखा है, जो आधुनिक उपयोग में सामान्य तौर पर जुड़ी हुई होती है, जिससे लेखन के दौरान शब्द के ऊपर अटूट क्षैतिक रेखा का निर्माण होता है।
  • देवनागरी लिपि, लेखन की दृष्टि से सरल और वाचन की दृष्टि से सुपाठ्य है। देवनागरी को बाएं से दाहिनी ओर लिखा जाता है। .... और पढ़ें
चयनित चित्र

370px|ब्राह्मी लिपि|center


कुछ लेख
भाषा श्रेणी वृक्ष


संबंधित लेख