निक्षुभार्कचतुष्टय व्रत: Difference between revisions

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*सूर्य एवं उसकी पत्नी की मूर्ति पूजा की जाती है।
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*[[महाभारत]] के पाठक को एक वर्ष तक नियुक्त रखना चाहिए और अन्त में सूर्य एवं निक्षुभा की स्वर्ण प्रतिमा का उसे दान देना चाहिए, उसकी पत्नी को गहने एवं वस्त्र देने चाहिए।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 156-159); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 676-679)।</ref>


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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Latest revision as of 07:54, 21 March 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • निक्षुभा सूर्य की पत्नी है।
  • कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को उपवास रखते हैं।
  • इसमें एक वर्ष तक उपवास किया जाता है।
  • सूर्य एवं उसकी पत्नी की मूर्ति पूजा की जाती है।
  • स्त्रियाँ सूर्य लोक को जाती हैं और पति के रूप में राजा को पाती हैं।
  • पुरुष भी सूर्यलोक को जाते हैं।
  • महाभारत के पाठक को एक वर्ष तक नियुक्त रखना चाहिए और अन्त में सूर्य एवं निक्षुभा की स्वर्ण प्रतिमा का उसे दान देना चाहिए, उसकी पत्नी को गहने एवं वस्त्र देने चाहिए।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 156-159); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 676-679)।

अन्य संबंधित लिंक

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