युगान्त्य श्राद्ध: Difference between revisions

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Latest revision as of 10:30, 21 March 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • तीन दिनों तक सम्पादन।
  • चारों युग क्रम से निम्नलिखित समयों पर अन्त को प्राप्त होते हैं।
  • कृत का अन्त तब होता है, जब सूर्य सिंह राशि में रहता है, त्रेता का अन्त वृश्चिक संक्रान्ति में, द्वापर का अन्त वृष संक्रान्ति में तथा कलि का कुम्भ संक्रान्ति में हो।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (काल॰ 656); कृत्यरत्नाकर (542-543); कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिक काण्ड, 372)।

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