श्रावणिका व्रत: Difference between revisions

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*श्रावण्य नामक देवियाँ पूजी जाती है।
*श्रावण्य नामक देवियाँ पूजी जाती है।
*जो [[ब्रह्मा]] से जाकर कर्ता जो कुछ अच्छा या बुरा करता है, कहती हैं।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 134-139, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref>
*जो [[ब्रह्मा]] से जाकर कर्ता जो कुछ अच्छा या बुरा करता है, कहती हैं।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 134-139, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref>
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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Latest revision as of 06:53, 14 June 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की अष्टमी एवं चतुर्दशी पर यह व्रत किया जाता है।
  • स्नान करके मध्याह्न के समय कर्ता को कई नारियों या एक नारी (यदि वह धनहीन हो) या सुचरित्र ब्राह्मण सगोत्र नारियों एवं एक विद्वान एवं सुचरित्रवान ब्राह्मण को आमंत्रित करना चाहिए, उनके चरणों को पखारना चाहिए, उन्हें अर्ध्य देना चाहिए, गंध आदि से उनकी पूजा करनी चाहिए तथा उन्हें भोजन देना चाहिए।
  • नारियों के समक्ष सूतों एवं मालाओं से आवृत 12 जलपूर्ण घट रखे जाने चाहिए, अपने सिर पर एक घट रखना चाहिए तथा केशव का ध्यान करना चाहिए, प्रार्थना करनी चाहिए कि वह पितृ ऋणों, देव ऋणों एवं मनुष्य ऋणों से मुक्त हो जायें।
  • नारियाँ आशीर्वचन देती हैं–'ऐसा ही हो'।
  • यह व्रत तिथिव्रत होता है।
  • श्रावण्य नामक देवियाँ पूजी जाती है।
  • जो ब्रह्मा से जाकर कर्ता जो कुछ अच्छा या बुरा करता है, कहती हैं।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 134-139, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)।

अन्य संबंधित लिंक

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