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*मण्डप में द्वार रहते हैं, उसके मध्य में कमल होता है।
*मण्डप में द्वार रहते हैं, उसके मध्य में कमल होता है।
*आठों दिशाओं के स्वामियों (दिक्पालों) के आठ आयुधों, यथा—वज्र, शक्ति, गदा (यम की), अशि, पाश (वरुण का), झण्डा, मुँगरी (कुबेर की), शूल (शिव का) के चित्र बनाये जाते हैं।
*आठों दिशाओं के स्वामियों (दिक्पालों) के आठ आयुधों, यथा—वज्र, शक्ति, [[गदा]] (यम की), अशि, पाश (वरुण का), झण्डा, मुँगरी (कुबेर की), शूल (शिव का) के चित्र बनाये जाते हैं।
*वासुदेव, संकर्षण, नारायण, वामन की, जो विष्णु के व्यूह कहे जाते हैं, चित्राकृतियाँ बनायी जाती हैं।  
*वासुदेव, संकर्षण, नारायण, वामन की, जो विष्णु के व्यूह कहे जाते हैं, चित्राकृतियाँ बनायी जाती हैं।  
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Latest revision as of 12:39, 27 July 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • किसी भी शुक्ल पक्ष की या आषाढ़ या शुक्ल की फाल्गुन की एकादशी पर या संक्रान्ति पर या ग्रहण पर पूर्वोत्तर दिशा में झुके हुए भूमिखण्ड पर बने मण्डप में भगवान विष्णु की पूजा, यज्ञ आदि कि्ये जाते हैं।
  • मण्डप में द्वार रहते हैं, उसके मध्य में कमल होता है।
  • आठों दिशाओं के स्वामियों (दिक्पालों) के आठ आयुधों, यथा—वज्र, शक्ति, गदा (यम की), अशि, पाश (वरुण का), झण्डा, मुँगरी (कुबेर की), शूल (शिव का) के चित्र बनाये जाते हैं।
  • वासुदेव, संकर्षण, नारायण, वामन की, जो विष्णु के व्यूह कहे जाते हैं, चित्राकृतियाँ बनायी जाती हैं।
  • होम किया जाता है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत 1|1125-1131, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण

अन्य संबंधित लिंक

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