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'''अंबष्ठ''' नाम के एक प्राचीन [[जनपद]] तथा जाति का उल्लेख [[संस्कृत साहित्य|संस्कृत]] और [[पालि भाषा|पालि साहित्य]] में अनेक स्थलों पर मिलता है।
'''अंबष्ठ''' [[पंजाब]] का प्राचीन जनपद है।
*[[महाभारत]] में इसका उल्लेख इस प्रकार है-
:'वशातय: शाल्वका: केकयाश्च तथा अंबष्ठा ये त्रिगर्ताश्च मुख्या:'।<ref>[[उद्योग पर्व महाभारत|महाभारत उद्योग पर्व]] 30, 23</ref>
*[[विष्णुपुराण]] में भी अंबष्ठों का मद्र और [[आराम जनपद]] के वासियों के साथ वर्णन है-
:'माद्रारामास्तथाम्बष्ठा पारसीकादयस्तथा'।<ref>2,3,17</ref>
*बार्हस्पत्य अर्थशास्त्र<ref>टॉमस, पृ. 21</ref> में अंबष्ठों के राष्ट्र का वर्णन [[कश्मीर]], हूण देश और [[सिंध प्रांत|सिंध]] के साथ है।
*[[अलक्षेंद्र]] के आक्रमण के समय अंबष्ठनिवासियों के पास शक्तिशाली सेना थी। टॉलमी ने इनको अंबुटाई कहा है।  


{{संदर्भ ग्रंथ}}
*यह [[पंजाब]] का प्राचीन जनपद था। '[[महाभारत]]' में इसका उल्लेख इस प्रकार है-
<blockquote>'वशातय: शाल्वका: केकयाश्च तथा अंबष्ठा ये त्रिगर्ताश्च मुख्या:<ref>[[उद्योग पर्व महाभारत|महाभारत उद्योग पर्व]] 30, 23</ref></blockquote>
*'[[विष्णुपुराण]]' में भी अंबष्ठों का मद्र और [[आराम जनपद]] के वासियों के साथ वर्णन है-
<blockquote>'माद्रारामास्तथाम्बष्ठा पारसीकादयस्तथा'<ref>2,3,17</ref></blockquote>
*'बार्हस्पत्य अर्थशास्त्र'<ref>टॉमस, पृ. 21</ref> में अंबष्ठों के राष्ट्र का वर्णन [[कश्मीर]], हूण देश और [[सिंध प्रांत|सिंध]] के साथ है।
*[[अलक्षेंद्र]] <ref>[[सिकंदर]]</ref> के आक्रमण के समय अंबष्ठनिवासियों के पास शक्तिशाली सेना थी। [[टॉलमी]] ने इनको '''अंबुटाई''' कहा है।
*सिकंदर के [[इतिहास]] से संबंधित कतिपय ग्रीक और रोमन लेखकों की रचनाओं में भी अंबष्ठ जाति का वर्णन हुआ है। दिओदोरस, कुर्तियस, जुस्तिन तथा तालेमी ने विभिन्न उच्चारणों के साथ इस शब्द का प्रयोग किया है।<ref>{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0|title= अंबष्ठ|accessmonthday= 12 फरवरी|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language= हिन्दी}}</ref>
*प्रारंभ में अंबष्ठ जाति युद्धोपजीवी थी। सिकंदर के समय<ref>327 ई. पू.</ref> उसका एक गणतंत्र था और वह [[चिनाब नदी|चिनाब]] के दक्षिणी तट पर निवास करती थी।
*आगे चलकर अंबष्ठों ने संभवत चिकित्साशास्त्र को अपना लिया, जिसका परिज्ञान हमें '[[मनुस्मृति]]' से होता है
 
 
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Latest revision as of 08:40, 25 April 2018

अंबष्ठ नाम के एक प्राचीन जनपद तथा जाति का उल्लेख संस्कृत और पालि साहित्य में अनेक स्थलों पर मिलता है।

'वशातय: शाल्वका: केकयाश्च तथा अंबष्ठा ये त्रिगर्ताश्च मुख्या:[1]

'माद्रारामास्तथाम्बष्ठा पारसीकादयस्तथा'[2]

  • 'बार्हस्पत्य अर्थशास्त्र'[3] में अंबष्ठों के राष्ट्र का वर्णन कश्मीर, हूण देश और सिंध के साथ है।
  • अलक्षेंद्र [4] के आक्रमण के समय अंबष्ठनिवासियों के पास शक्तिशाली सेना थी। टॉलमी ने इनको अंबुटाई कहा है।
  • सिकंदर के इतिहास से संबंधित कतिपय ग्रीक और रोमन लेखकों की रचनाओं में भी अंबष्ठ जाति का वर्णन हुआ है। दिओदोरस, कुर्तियस, जुस्तिन तथा तालेमी ने विभिन्न उच्चारणों के साथ इस शब्द का प्रयोग किया है।[5]
  • प्रारंभ में अंबष्ठ जाति युद्धोपजीवी थी। सिकंदर के समय[6] उसका एक गणतंत्र था और वह चिनाब के दक्षिणी तट पर निवास करती थी।
  • आगे चलकर अंबष्ठों ने संभवत चिकित्साशास्त्र को अपना लिया, जिसका परिज्ञान हमें 'मनुस्मृति' से होता है


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत उद्योग पर्व 30, 23
  2. 2,3,17
  3. टॉमस, पृ. 21
  4. सिकंदर
  5. अंबष्ठ (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 12 फरवरी, 2015।
  6. 327 ई. पू.

संबंधित लेख