ललिता षष्ठी: Difference between revisions

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Revision as of 10:35, 21 March 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत नारियों के लिए है। भाद्रपद की षष्ठी को करना चाहिए।
  • एक नवीन बाँस की फुफेली (पात्र) में किसी नदी का बालू एकत्र करके उससे पाँच पिण्ड बनाकर उस पर ललिता देवी की पूजा विभिन्न प्रकार के 28 या 108 पुष्पों एवं विभिन्न खाद्य पदार्थों के नैवेद्य से की जाती है। उस दिन सखियों के साथ रात्रि में जागरण करना चाहिए।
  • सप्तमी को सभी नैवेद्य किसी ब्राह्मण को अर्पित, कुमारियों को भोजन, 5 या 10 ब्राह्मण गृहणियों को भोजन कराना चाहिए। तथा 'ललिता मुझ पर प्रसन्न होवें' के साथ उनकी विदाई करनी चाहिए।[1]
  • व्रतरत्नाकर [2] का कथन है कि यह गुर्जर देश में अति प्रसिद्ध है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 617-620, भविष्योत्तरपुराण 41|1-18 से उद्धरण)
  2. व्रतरत्नाकर (220-221)

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