मनोरथ तृतीया: Difference between revisions
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Revision as of 11:04, 11 September 2010
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- चैत्र शुक्ल तृतीया पर यह व्रत करना चाहिए।
- 20 हाथों वाली गौरी की पूजा एक वर्ष तक करनी चाहिए।
- कर्ता जम्बू, अपामार्ग खदिर ऐसे वृक्षों की टहनियों से ही दाँत स्वच्छ करता है, वह कुछ विशेष अंजन ही प्रयोग, या केवल यक्ष कर्दम, कुछ विशिष्ट पुष्पों (यथा–मल्लिका, करवीर, केतकी) एवं नैवेद्य का प्रयोग करता है।
- अन्त में आचार्य को तकिया, दर्पण आदि के साथ पलंग का दान करना चाहिए।
- 4 बच्चों एवं 12 कुमारियों को भोजन करना चाहिए।
- ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।[1]; [2]।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित लिंक
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