वरद चतुर्थी: Difference between revisions

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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
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*समयप्रदीप, कृत्यरत्नाकर, वर्षक्रियाकौमुदी <ref>समयप्रदीप (पाण्डुलिपि 47 बी0); कृत्यरत्नाकर (504) एवं वर्षक्रियाकौमुदी (498)</ref> का कथन है कि वरचतुर्थी केवल चतुर्थी तक सीमित है तथा पंचमी को कुन्द पुष्पों से पूजा श्रीपंचमी कहलाती है और वट का अर्थ है '[[विनायक (गणेश)|विनायक]]'।
*समयप्रदीप, कृत्यरत्नाकर, वर्षक्रियाकौमुदी <ref>समयप्रदीप (पाण्डुलिपि 47 बी0); कृत्यरत्नाकर (504) एवं वर्षक्रियाकौमुदी (498</ref> का कथन है कि वरचतुर्थी केवल चतुर्थी तक सीमित है तथा पंचमी को कुन्द पुष्पों से पूजा श्रीपंचमी कहलाती है और वट का अर्थ है '[[विनायक (गणेश)|विनायक]]'।


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Revision as of 13:00, 27 July 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर करना चाहिए। चतुर्थी को वरद (अर्थात् 'विनायक) की पूजा करनी चाहिए, तथा पंचमी को कुन्द पुष्पों से पूजा करनी चाहिए।
  • समयप्रदीप, कृत्यरत्नाकर, वर्षक्रियाकौमुदी [1] का कथन है कि वरचतुर्थी केवल चतुर्थी तक सीमित है तथा पंचमी को कुन्द पुष्पों से पूजा श्रीपंचमी कहलाती है और वट का अर्थ है 'विनायक'।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. समयप्रदीप (पाण्डुलिपि 47 बी0); कृत्यरत्नाकर (504) एवं वर्षक्रियाकौमुदी (498

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