नक्षत्र व्रत: Difference between revisions

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Revision as of 12:30, 7 September 2010

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • कृत्यकल्पतरु में दस का तथा हेमाद्रि ने 33 का उल्लेख किया है।[1]
  • अश्विनी से आगे के नक्षत्रों से सम्बन्धित व्रतों का उल्लेख हेमाद्रि में है।
  • हेमाद्रि[2], कालनिर्णय[3] एवं निर्णयामृत[4] ने व्रतों में किये जाने वाले उपवास आदि का उल्लेख किया है।
  • नियम यह है कि उपवास के समय का नक्षत्र सूर्यास्त के समय या उस समय जब कि चन्द्र का अर्धरात्रि से योग हो, अवश्य उपस्थित रहे (अर्ध रात्रि के समय कोई नक्षत्र रहता है)।
  • इन दोनों में प्रथम बात मुख्य है।
  • दूसरी उससे कम महत्व रखती है।[5]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अग्नि (196), कृत्यकल्पतरु (व्रत॰ 399-417), हेमाद्रि (व्रत॰ 2, 593-706)।
  2. हेमाद्रि (काल0 126-128)
  3. कालनिर्णय (327-328)
  4. निर्णयामृत (18)
  5. विष्णुधर्मोत्तरपुराण (1|60|26-27); कालनिर्णय (327); हेमाद्रि (काल॰0, 126); वर्षक्रियाकौमुदी (8)।

अन्य संबंधित लिंक

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