पुत्रप्राप्ति व्रत: Difference between revisions

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Revision as of 07:08, 7 December 2010

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।

(1) वैशाख शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर व पंचमी को उपवास कर स्कन्द पूजा की जाती है।

  • यह व्रत एक वर्ष तक किया जाता है।
  • स्कन्द के चार रूप हैं–स्कन्द, कुमार, विशाख एवं गुह।
  • पुत्र, सन्तति या स्वास्थ्य की इच्छा करने वाला पूर्णकाम होता है।[1]

(2) श्रावण पूर्णिमा पर यह व्रत किया जाता है।

  • शांकरी (दुर्गा) देवता।
  • पुत्रों, विद्या, राज्य एवं यश पाने वाले को इसका सम्पादन करना चाहिए।
  • किसी शुभ नक्षत्र में सोने या चाँदी की एक तलवार या पादुकाएँ या दुर्गा की प्रतिमा बनवानी चाहिए और उसे उगे हुए जौ कि वेदी पर रखना चाहिए, वेदी पर पहले होम हो गया रहना चाहिए।
  • देवी को भाँति-भाँति के फूल-फल चढ़ाने चाहिए।[2]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1|628, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण);
  2. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 232) में विद्यामन्त्र दिये हुए हैं; हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 230-233, देवी पुराण से उद्धरण)।

अन्य संबंधित लिंक

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