सर्वमंगल त्रियोदशी: Difference between revisions
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*कृष्ण ने [[युधिष्ठर]] से कहा था कि उनके गुरु [[सान्दीपनि]] ने जब दक्षिणा के रूप में उनसे अपने मृत पुत्र को जीवित कर देने को कहा तो उन्होंने (कृष्ण ने) देवी का स्मरण किया और मृत पुत्र पुनर्जीवित कर दिया। | *कृष्ण ने [[युधिष्ठर]] से कहा था कि उनके गुरु [[सान्दीपनि]] ने जब दक्षिणा के रूप में उनसे अपने मृत पुत्र को जीवित कर देने को कहा तो उन्होंने (कृष्ण ने) देवी का स्मरण किया और मृत पुत्र पुनर्जीवित कर दिया। | ||
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Revision as of 07:29, 7 December 2010
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- प्रतिमास शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी पर एकभक्त या नक्त या उपवास करना चाहिए।
- कृष्ण, बलभद्र एवं मंगला (दुर्गा) देवी[1] की पूजा करनी चाहिए।
- इन तीनों के स्मरण या इन तीनों की प्रतिमाओं की पूजा एवं पुष्प, मांस एवं मदिरा अर्पण से सभी कठिनाइयों पर विजय प्राप्त की जाती है।[2]
- कृष्ण ने युधिष्ठर से कहा था कि उनके गुरु सान्दीपनि ने जब दक्षिणा के रूप में उनसे अपने मृत पुत्र को जीवित कर देने को कहा तो उन्होंने (कृष्ण ने) देवी का स्मरण किया और मृत पुत्र पुनर्जीवित कर दिया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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