द्राक्षा भक्षण: Difference between revisions

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*[[ब्रह्म पुराण]] में ऐसा आया है कि समुद्र देवों द्वारा मिथित हुआ तो क्षीरसागर से एक सुन्दर नारी का उदभव हुआ और वह एक मनोरम लता के रूप में परिणत हो गयी और देवों ने प्रश्न किया—'यह कौन है? हम इसे प्रसन्नता से देखेंगे (हन्त द्रक्ष्याम हे वयम्) और इस लता को 'द्राक्षा' (अंगूर) की संज्ञा दी।  
*[[ब्रह्म पुराण]] में ऐसा आया है कि समुद्र देवों द्वारा मिथित हुआ तो क्षीरसागर से एक सुन्दर नारी का उदभव हुआ और वह एक मनोरम लता के रूप में परिणत हो गयी और देवों ने प्रश्न किया—'यह कौन है? हम इसे प्रसन्नता से देखेंगे (हन्त द्रक्ष्याम हे वयम्) और इस लता को 'द्राक्षा' (अंगूर) की संज्ञा दी।  
*जब लता के अंगूर पक जाते हैं, तो उसकी पूजा पुष्पों, धूप, नैवेद्य आदि से की जाती है और इसके उपरान्त दो बच्चों तथा दो बूढ़ों को सम्मानित किया जाता है और तब गानों एवं नाच का कार्यक्रम किया जाता है।
*जब लता के अंगूर पक जाते हैं, तो उसकी पूजा पुष्पों, धूप, नैवेद्य आदि से की जाती है और इसके उपरान्त दो बच्चों तथा दो बूढ़ों को सम्मानित किया जाता है और तब गानों एवं नाच का कार्यक्रम किया जाता है।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
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Latest revision as of 12:50, 27 July 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • अंगूरों का प्रथम भक्षण होता है।
  • आश्विन में यह व्रत किया जाता है।[1]
  • ब्रह्म पुराण में ऐसा आया है कि समुद्र देवों द्वारा मिथित हुआ तो क्षीरसागर से एक सुन्दर नारी का उदभव हुआ और वह एक मनोरम लता के रूप में परिणत हो गयी और देवों ने प्रश्न किया—'यह कौन है? हम इसे प्रसन्नता से देखेंगे (हन्त द्रक्ष्याम हे वयम्) और इस लता को 'द्राक्षा' (अंगूर) की संज्ञा दी।
  • जब लता के अंगूर पक जाते हैं, तो उसकी पूजा पुष्पों, धूप, नैवेद्य आदि से की जाती है और इसके उपरान्त दो बच्चों तथा दो बूढ़ों को सम्मानित किया जाता है और तब गानों एवं नाच का कार्यक्रम किया जाता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यरत्नाकर (पृ0 303-304

अन्य संबंधित लिंक

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