मुल्तान: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 8: Line 8:
देविका वर्तमान देह नदी है। [[युवानच्वांग]] के समय में [[सिन्धु प्रदेश|सिन्धु]] और मुल्तान पड़ौसी देश थे। [[अलबेरूनी]] ने सौवीर देश का विस्तार मुल्तान तक बताया है। एक प्राचीन किवदंती में मुल्तान को [[विष्णु]] के [[प्रह्लाद|भक्त प्रह्लाद]] का जन्म स्थान तथा [[हिरण्यकशिपु]] की राजधानी माना जाता है। प्रह्लाद के नाम से एक प्रसिद्ध मन्दिर भी यहाँ स्थित है।
देविका वर्तमान देह नदी है। [[युवानच्वांग]] के समय में [[सिन्धु प्रदेश|सिन्धु]] और मुल्तान पड़ौसी देश थे। [[अलबेरूनी]] ने सौवीर देश का विस्तार मुल्तान तक बताया है। एक प्राचीन किवदंती में मुल्तान को [[विष्णु]] के [[प्रह्लाद|भक्त प्रह्लाद]] का जन्म स्थान तथा [[हिरण्यकशिपु]] की राजधानी माना जाता है। प्रह्लाद के नाम से एक प्रसिद्ध मन्दिर भी यहाँ स्थित है।
====मुस्लिम आक्रमण====
====मुस्लिम आक्रमण====
[[चित्र:Mausoleum-Of-Hazrat-Baha-ud-Din-Zakaria.jpg|thumb|250px|हज़रत बहाउद्दीन जकारिया का मक़बरा, मुल्तान]]
मुल्तान [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] द्वारा सबसे पहले विजित प्रदेशों में था। पूर्व मध्यकाल में मुल्तान अरबों के अधीन था, किंतु 871 ई. में ख़िलाफ़त से सम्बन्ध विच्छेद कर मुल्तान स्वतन्त्र हो गया था। [[महमूद ग़ज़नवी]] ने मुल्तान पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया। तत्कालीन शासक दाउद ने महमूद ग़ज़नवी को 20,000 दिरहम प्रतिवर्ष देने का वायदा किया। 1008 ई. में मुल्तान को महमूद ग़ज़नवी ने अपने राज्य में मिला लिया। 1175 ई. में [[मुहम्मद ग़ोरी]] का पहला आक्रमण मुल्तान पर हुआ। इस पर उस समय करमाथी लोग शासन करते थे। मुहम्मद ग़ोरी ने नगर पर अधिकार कर उसे अपने सूबेदार के सुपुर्द कर दिया। उसके बाद शताब्दियों तक मुल्तान भारतीय मुस्लिम साम्राज्य का अंग बना रहा।
मुल्तान [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] द्वारा सबसे पहले विजित प्रदेशों में था। पूर्व मध्यकाल में मुल्तान अरबों के अधीन था, किंतु 871 ई. में ख़िलाफ़त से सम्बन्ध विच्छेद कर मुल्तान स्वतन्त्र हो गया था। [[महमूद ग़ज़नवी]] ने मुल्तान पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया। तत्कालीन शासक दाउद ने महमूद ग़ज़नवी को 20,000 दिरहम प्रतिवर्ष देने का वायदा किया। 1008 ई. में मुल्तान को महमूद ग़ज़नवी ने अपने राज्य में मिला लिया। 1175 ई. में [[मुहम्मद ग़ोरी]] का पहला आक्रमण मुल्तान पर हुआ। इस पर उस समय करमाथी लोग शासन करते थे। मुहम्मद ग़ोरी ने नगर पर अधिकार कर उसे अपने सूबेदार के सुपुर्द कर दिया। उसके बाद शताब्दियों तक मुल्तान भारतीय मुस्लिम साम्राज्य का अंग बना रहा।
==अंग्रेज़ों का अधिकार==
==अंग्रेज़ों का अधिकार==

Revision as of 04:45, 24 July 2012

thumb|250px|सखी सुल्तान का मक़बरा, मुल्तान मुल्तान अथवा मुलतान आधुनिक पश्चिमी पाकिस्तान में चिनाब नदी के तट पर स्थित पश्चिमी पंजाब का एक महत्त्वपूर्ण प्राचीन नगर है। यह सिन्ध से पंजाब जाने वाले राजमार्ग पर स्थित है। सैनिक दृष्टि से भी इसकी स्थिति अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। प्राचीन समय में मुल्तान को 'मूलस्थान' के नाम से जाना जाता था। इस स्थान का वर्णन हिन्दू धर्म के स्कन्दपुराण में भी आता है। यहाँ स्थित सूर्य मन्दिर, जिसके अब अवशेष ही शेष हैं, उसके बारे में यह कहा जाता है कि इसका निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने करवाया था।

इतिहास

प्राचीन समय में मुल्तान एक प्राचीन सूर्य मन्दिर के लिए दूर-दूर तक विख्यात था। भविष्यपुराण की एक कथा में वर्णित है कि कृष्ण के पुत्र साम्ब ने दुर्वासा के शाप के परिणामस्वरूप कुष्ठ रोग से पीड़ित होने पर सूर्य की उपासना की थी और मूलस्थान[1] में सूर्य मन्दिर बनवाया था। उसने मगद्वीप से सूर्योपासना में दक्ष सोलह मग परिवारों को बुलाया था। ये मग लोग शायद ईरान के निवासी थे और शाकल द्वीप में बसे हुए थे। इस सूर्य मन्दिर के खण्डहर मुल्तान में आज भी पड़े हुए हैं। स्कन्दपुराण के प्रभासक्षेत्र[2] में इस मन्दिर को देविका नदी के तट पर स्थित बताया गया है-

'ततो गच्छेन महादेविमूलस्थानमिति श्रुतम, देविकायास्तट रम्ये भास्करं वारितस्करम'।

देविका वर्तमान देह नदी है। युवानच्वांग के समय में सिन्धु और मुल्तान पड़ौसी देश थे। अलबेरूनी ने सौवीर देश का विस्तार मुल्तान तक बताया है। एक प्राचीन किवदंती में मुल्तान को विष्णु के भक्त प्रह्लाद का जन्म स्थान तथा हिरण्यकशिपु की राजधानी माना जाता है। प्रह्लाद के नाम से एक प्रसिद्ध मन्दिर भी यहाँ स्थित है।

मुस्लिम आक्रमण

thumb|250px|हज़रत बहाउद्दीन जकारिया का मक़बरा, मुल्तान मुल्तान मुस्लिमों द्वारा सबसे पहले विजित प्रदेशों में था। पूर्व मध्यकाल में मुल्तान अरबों के अधीन था, किंतु 871 ई. में ख़िलाफ़त से सम्बन्ध विच्छेद कर मुल्तान स्वतन्त्र हो गया था। महमूद ग़ज़नवी ने मुल्तान पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया। तत्कालीन शासक दाउद ने महमूद ग़ज़नवी को 20,000 दिरहम प्रतिवर्ष देने का वायदा किया। 1008 ई. में मुल्तान को महमूद ग़ज़नवी ने अपने राज्य में मिला लिया। 1175 ई. में मुहम्मद ग़ोरी का पहला आक्रमण मुल्तान पर हुआ। इस पर उस समय करमाथी लोग शासन करते थे। मुहम्मद ग़ोरी ने नगर पर अधिकार कर उसे अपने सूबेदार के सुपुर्द कर दिया। उसके बाद शताब्दियों तक मुल्तान भारतीय मुस्लिम साम्राज्य का अंग बना रहा।

अंग्रेज़ों का अधिकार

कालांतर में अहमदशाह अब्दाली (1747-1773 ई.) ने मुल्तान को जीतकर अफ़ग़ानिस्तान में सम्मिलित कर लिया, किन्तु 1818 ई. में महाराजा रणजीत सिंह ने इसे अफ़ग़ानों से छीन लिया। उस प्रदेश के सिक्ख सूबेदार मूलराज ने 1848-1849 ई. में अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, जो अन्त में द्वितीय सिक्ख युद्ध में परिणत हो गया। इसमें अंग्रेज़ों की विजय हुई और मुल्तान अंग्रेज़ ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।

स्मारक

मुल्तान के उल्लेखनीय स्मारकों में मुहम्मद बिन क़ासिम की बनवाई गई मस्जिद प्रमुख है। यहाँ के मक़बरों में 1152 ई. में निर्मित शाह युसुफ़-गुल गरजिनी का मक़बरा, 1262 ई. में निर्मित बहाउल हक़ का मक़बरा महत्त्वपूर्ण है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मुल्तान
  2. प्रभासक्षेत्र-माहात्म्य, अध्याय 278

संबंधित लेख