गुप्त नवरात्र: Difference between revisions
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Revision as of 12:15, 6 June 2013
गुप्त नवरात्र हिन्दू धर्म में उसी प्रकार मान्य हैं, जिस प्रकार 'शारदीय' और 'चैत्र नवरात्र'। आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रों को "गुप्त नवरात्र" कह कर पुकारा जाता है। बहुत कम लोगों को ही इसके ज्ञान या छिपे हुए होने के कारण इसे 'गुप्त नवरात्र' कहा जाता है। गुप्त नवरात्र मनाने और इनकी साधना का विधान 'देवी भागवत' व अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। श्रृंगी ऋषि ने गुप्त नवरात्रों के महत्त्व को बतलाते हुए कहा है कि- "जिस प्रकार वासंतिक नवरात्र में भगवान विष्णु की पूजा और शारदीय नवरात्र में देवी शक्ति की नौ देवियों की पूजा की प्रधानता रहती है, उसी प्रकार गुप्त नवरात्र दस महाविद्याओं के होते हैं। यदि कोई इन महाविद्याओं के रूप में शक्ति की उपासना करें, तो जीवन धन-धान्य, राज्य सत्ता और ऐश्वर्य से भर जाता है।
तिथि
सामान्यत: लोग वर्ष में पड़ने वाले केवल दो नवरात्रों के बारे में ही जानते हैं- 'चैत्र' या 'वासंतिक नवरात्र' व 'आश्विन' या 'शारदीय नवरात्र', जबकि इसके अतिरिक्त दो और नवरात्र भी होते हैं, जिनमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। कम लोगों को इसका ज्ञान होने के कारण या इसके छिपे हुए होने के कारण ही इसको "गुप्त नवरात्र" कहते हैं। वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्र आते हैं- माघ मास के शुक्ल पक्ष व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में। इस प्रकार कुल मिला कर वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। यह चारों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाये जाते हैं। इस विशेष अवसर पर अपनी विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पूजा-पाठ आदि किये जाते हैं।
महत्त्व
गुप्त नवरात्रों का बड़ा ही महत्त्व बताया गया है। यदि किसी कन्या के विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करना हो तो इसके लिए पूरे नौ दिन देवी को पीले रंग के फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए और माता के कात्यायनी स्वरूप की उपासना करना चाहिए। संतान प्राप्ति में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए नौ दिन देवी को पान का पत्ता अर्पित करना चाहिए। माँ के स्कंदमाता स्वरूप की उपासना करें। नौकरी में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए नौ दिन देवी को बताशे पर लौंग रख कर अर्पित करने से समस्या हल हो सकती है। माँ के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना करना चाहिए। स्वास्थ्य समस्याएँ रहती हों तो नौ दिन देवी को लाल रंग के फूल अर्पित करने चाहिए। माँ के चंद्रघंटा स्वरूप की उपासना होनी चाहिए। मुकदमे या कर्जे की समस्या हो तो नौ दिन देवी के समक्ष गुग्गुल की सुगंध की धूप जलाएँ। देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की उपासना करें। सामान्य रूप से गुप्त नवरात्रि में देवी की कृपा के लिए नौ दिन देवी के सामने अखंड दीपक जलाएँ व 'दुर्गा सप्तशती' या देवी के मन्त्रों का जाप करें।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ गुप्त नवरात्र में करें मनोकामनाएँ पूरी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 06 जून, 2013।
अन्य संबंधित लिंक
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