फलाहार हरिप्रिय व्रत: Difference between revisions
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*बसन्त में विषुव दिन पर 3 दिनों के लिए उपवास आरम्भ किया जाता है। | *बसन्त में विषुव दिन पर 3 दिनों के लिए उपवास आरम्भ किया जाता है। | ||
*इस व्रत में [[विष्णु|वासुदेव]] पूजा की जाती है। | *इस व्रत में [[विष्णु|वासुदेव]] पूजा की जाती है। |
Revision as of 07:18, 15 September 2010
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- विष्णुधर्मात्तरपुराण[1] में इसे 'चतुर्मूर्तिव्रत' कहा गया है।
- बसन्त में विषुव दिन पर 3 दिनों के लिए उपवास आरम्भ किया जाता है।
- इस व्रत में वासुदेव पूजा की जाती है।
- तीन मासों तक प्रतिदिन वासुदेव की पूजा की जाती है।
- तीन मासों तक केवल फलों का ही सेवन किया जाता है।
- शरद विषुव में तीन मासों तक उपवास किया जाता है।
- प्रद्युम्न पूजा की जाती है। केवल यावक पर ही रहना चाहिए।
- वर्ष के अन्त में ब्राह्मणों को दान करना चाहिए।
- ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विष्णुधर्मात्तरपुराण (3|149|1-10)
संबंधित लेख
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