पौष्टिक कृत्य: Difference between revisions

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Revision as of 09:58, 21 March 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • बृहत्संहिता[1] ने सांवत्सर (ज्योतिषी) की अर्हताओं में शान्तिक एवं पौष्टिक कृत्यों का ज्ञान भी सम्मिलित किया है। दोनों में अन्तर यह है कि पौष्टिक कृत्यों में होम आदि का सम्पादन दीर्घायु प्रदान करता है, किन्तु शान्तिक कृत्यों में दुष्ट ग्रहों, धूमकेतू आदि असाधारण घटनाओं से उत्पन्न कुप्रभावों से बचने के लिए होम आदि का सम्पादन होता है।[2]
  • कृत्यकल्पतरु[3] में आया है कि शान्ति का अर्थ है, सांसारिक कष्टों का धर्मशास्त्र की विधियों से निवारण।

 


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बृहत्संहिता (2)
  2. निर्णयसिन्धु (48)
  3. कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिक 254)

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