पात्र व्रत: Difference between revisions

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Revision as of 13:12, 8 September 2010

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी एवं पूर्णिमा पर होता है।
  • एकादशी पर उपवास रखा जाता है।
  • 15वीं तिथि को एक पवित्र स्थान पर घृतपूर्ण स्पर्ण पात्र रखा जाता है, जिस पर नवीन वस्त्र रखे रहते हैं।
  • संगीत एवं नृत्य से जागर (जागरण) प्रातःकाल विष्णु मन्दिर में पात्र को ले जाना विष्णु प्रतिमा को दूध आदि से नहलाना, उसकी पूजा, पात्र का दान तथा 'विष्णु प्रसन्न हों' कहना; प्रचुर नैवेद्य का अर्पण किया जाता है।
  • घर लौट आना, आचार्य का सन्तुष्ट करना।
  • आचार्य, दरिद्रों एवं अन्धों को भरपेट खिलाना।[1]

 

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 390-11); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 3, 381-382, नरसिंहपुराण से उद्धरण)।

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