संध्या वंदन: Difference between revisions

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Revision as of 20:08, 14 September 2010

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • सूर्योदय के पूर्व एवं सूर्यास्त के उपरान्त तीन घटिकाओं (72 मिनट) की अवधि को कहते हैं।
  • इस अवधि में निम्नलिखित चार कार्य नहीं किये जाने चाहिए– भोजन करना, सम्भोग करना, सोना एवं वेदाध्ययन। इनमें [1] उत्पल ने वराह को उद्धृत करके लिखा है कि सूर्य के क्षितिज के नीचे चले जाने तथा तारों के प्रकट होने तथा पूर्व में अर्धचन्द्र के प्रकाश होने तक की अवधि को संध्या कहते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (काल, 694-697); पुरुषार्थचिन्तामणि (46); बृहज्जातक (7|1)

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