विशोक षष्ठी: Difference between revisions
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*[[सप्तमी]] को गुरु एवं ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। बिना तेल एवं नमक का भोजन ग्रहण, मौन ग्रहण तथा पुराण-ग्रन्थों का श्रवण, एक वर्ष तक दोनों पक्षों में किया जाता है। *अन्त में माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी को स्वर्णिम कमल के साथ में एक घट, उपकरणों से युक्त पलंग एवं एक कपिला गाय का दानि करना चाहिए। | *[[सप्तमी]] को गुरु एवं ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। | ||
*बिना तेल एवं नमक का भोजन ग्रहण, मौन ग्रहण तथा पुराण-ग्रन्थों का श्रवण, एक वर्ष तक दोनों पक्षों में किया जाता है। | |||
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Revision as of 11:18, 18 September 2010
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी पर करना चाहिए।
- काले तिल से स्नान करें तथा तिल एवं चावल से बना भोजन करना चाहिए।
- षष्ठी पर स्वर्णिम कमल का निर्माण एवं सूर्य देवता के रूप में करवीर पुष्पों तथा दो लाल वस्त्रों से पूजा करनी चाहिए।
- शोक मुक्ति के लिए प्रार्थना, गौमूत्र पीना और शयन करना चाहिए।
- सप्तमी को गुरु एवं ब्राह्मणों को दान करना चाहिए।
- बिना तेल एवं नमक का भोजन ग्रहण, मौन ग्रहण तथा पुराण-ग्रन्थों का श्रवण, एक वर्ष तक दोनों पक्षों में किया जाता है।
- अन्त में माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी को स्वर्णिम कमल के साथ में एक घट, उपकरणों से युक्त पलंग एवं एक कपिला गाय का दानि करना चाहिए।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 600-602, भविष्योत्तरपुराण 38|1-7 से उद्धरण)।
संबंधित लेख
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