द्वादशाहयज्ञ फलावाप्ति तृतीया: Difference between revisions

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Revision as of 06:51, 7 December 2010

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • एक वर्ष एक प्रति तृतीया (सम्भवतः शुक्ल पर) को यह व्रत किया जाता है।
  • 12 अर्ध दिव्य प्राणियों की; जिन्हें 'साध्य' कहा जाता है, पूजा की जाती है।[1]
  • अनुशासन पर्व[2] में उपवास की व्यवस्था है, जो मार्गशीर्ष (शुक्ल) की द्वादशी से आरम्भ होता है।
  • विभिन्न नामों से, यथा—केशव, नारायण, माधव आदि विष्णु की पूजा होती है।
  • कर्ता को वही पुण्य या पुरस्कार प्राप्त होते हैं, जो अश्वमेध, वाजपेय एवं अन्य वैदिक यज्ञ करने से प्राप्त होते हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 498)
  2. अनुशासन पर्व, (109)

अन्य संबंधित लिंक

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