अनघा अष्टमी: Difference between revisions

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*डाभ के अनघ और अनघी निर्माण करके गोबर से पोती हुई वेदी पर विराजमान कर गन्धादि से उसका पूजन करे।  
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Latest revision as of 14:11, 27 July 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अनघ एवं अनघी[1] की पूजा की पूजा की जाती है।
  • डाभ के अनघ और अनघी निर्माण करके गोबर से पोती हुई वेदी पर विराजमान कर गन्धादि से उसका पूजन करे।
  • शूद्र नमस्कार करते हैं और अन्य लोग ऋग्वेद अतो देवा[2] का मन्त्र पढ़ते हैं।[3]
  • इस प्रकार प्रत्येक कृष्णाष्टमी को एक वर्ष तक करे तो सम्पूर्ण प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. दर्भ से वासुदेव एवं लक्ष्मी की प्रतिमा बनायी जाती है
  2. ऋग्वेद 1|22|16
  3. भविष्योत्तर (58|1

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