ईशान व्रत: Difference between revisions

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*यह व्रत [[शुक्ल पक्ष]] की [[चतुर्दशी]] और [[पूर्णिमा]] को [[गुरुवार]] के दिन करना चाहिए।  
*यह व्रत [[शुक्ल पक्ष]] की [[चतुर्दशी]] और [[पूर्णिमा]] को [[गुरुवार]] के दिन करना चाहिए।  
*इस व्रत में उस लिंग की पूजा करनी चाहिए जिसकी बाँयी ओर [[विष्णु]] हों और दाँयी ओर खखोल्क ([[सूर्य देवता|सूर्य]]) हों।
*इस व्रत में उस लिंग की पूजा करनी चाहिए जिसकी बाँयी ओर [[विष्णु]] हों और दाँयी ओर खखोल्क ([[सूर्य देवता|सूर्य]]) हों।

Revision as of 16:44, 25 February 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी और पूर्णिमा को गुरुवार के दिन करना चाहिए।
  • इस व्रत में उस लिंग की पूजा करनी चाहिए जिसकी बाँयी ओर विष्णु हों और दाँयी ओर खखोल्क (सूर्य) हों।
  • यह व्रत 5 वर्षों तक करना चाहिए, प्रथम वर्ष के अन्त में एक गऊदान, दूसरे वर्ष के अन्त में दो गायों का दान, तीसरे वर्ष के अन्त में तीन, चौथे वर्ष के अन्त में चार एवं पाँचवें वर्ष में पाँच गायों का दान करना चाहिए।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 383-385, हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 1789-180)।

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