पुत्र सप्तमी: Difference between revisions

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Latest revision as of 09:55, 21 March 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।

(1) माघ शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की सप्तमी पर यह व्रत किया जाता है।

  • षष्ठी को उपपास एवं होम करके दोनों सप्तमियों पर सूर्य पूजा की जाती है।
  • एक वर्ष यह व्रत किया जाता है।
  • पुत्र, धन, यश एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।[1]

(2) भाद्रपद शुक्ल एवं कृष्ण सप्तमी पर यह व्रत होता है।

  • षष्ठी को संकल्प एवं सप्तमी को उपवास रखा जाता है।
  • विष्णु के नाम वाले मन्त्रों के साथ विष्णु पूजा की जाती है।
  • गोपाल मन्त्रों के साथ अष्टमी को विष्णु पूजा तथा तिल से होम किया जाता है।
  • यह व्रत एक वर्ष के लिए किया जाता है।
  • वर्ष के अन्त में 2 काली गायों का दान दिया जाता है।
  • पुत्र प्राप्ति एवं सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।[2]

 


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 166-167); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 738-731, आदित्य पुराण से उद्धरण); व्रतराज (255);
  2. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 224-225); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 724-25, वराह पुराण 36|1-7 से उद्धरण)।

अन्य संबंधित लिंक

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