धन्वन्तरि जयन्ती: Difference between revisions
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Latest revision as of 05:22, 17 October 2017
धन्वन्तरि जयन्ती
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अन्य नाम | 'धनतेरस', 'धन्वन्तरि त्रयोदशी' |
अनुयायी | हिंदू, भारतीय |
प्रारम्भ | पौराणिक काल |
तिथि | कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी |
धार्मिक मान्यता | माना जाता है कि इस दिन भगवान धन्वन्तरि समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। |
संबंधित लेख | धनतेरस, धन्वन्तरि, दीपावली |
अन्य जानकारी | धन्वन्वरि के जीवन का सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग अमृत का है। उनके जीवन के साथ अमृत का कलश जुड़ा है। |
धन्वन्तरि जयन्ती (अंग्रेज़ी: Dhanvantari Jayanti) कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाई जाती है। इस दिन को भगवान धन्वन्तरि, जो कि आयुर्वेद के पिता और गुरु माने जाते हैं, उनके जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और भगवान विष्णु के अवतारों में से एक माने जाते हैं। 'धन्वन्तरि जयन्ती' को 'धनतेरस' तथा 'धन्वन्तरि त्रयोदशी' के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान धन्वन्तरि
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आज ही के दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता धन्वन्तरि समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे। इसलिए वैद्य-हकीम और ब्राह्मण समाज इस शुभ तिथि पर धन्वन्तरि भगवान का पूजन कर 'धन्वन्तरि जयन्ती' मनाता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि धनतेरस आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में नए बर्तन ख़रीदते हैं और उनमें पकवान रखकर भगवान धन्वंतरि को अर्पित करते हैं। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि असली धन तो स्वास्थ्य है। धन्वंतरि ईसा से लगभग दस हज़ार वर्ष पूर्व हुए थे। वह काशी के राजा महाराज धन्व के पुत्र थे। उन्होंने शल्य शास्त्र पर महत्त्वपूर्ण गवेषणाएं की थीं। उनके प्रपौत्र दिवोदास ने उन्हें परिमार्जित कर सुश्रुत आदि शिष्यों को उपदेश दिए। इस तरह सुश्रुत संहिता किसी एक का नहीं, बल्कि धन्वंतरि, दिवोदास और सुश्रुत तीनों के वैज्ञानिक जीवन का मूर्त रूप है।
धन्वंतरि के जीवन का सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग अमृत का है। उनके जीवन के साथ अमृत का कलश जुड़ा है। वह भी सोने का कलश। अमृत निर्माण करने का प्रयोग धन्वंतरि ने स्वर्ण पात्र में ही बताया था। उन्होंने कहा कि जरा मृत्यु के विनाश के लिए ब्रह्मा आदि देवताओं ने सोम नामक अमृत का आविष्कार किया था। सुश्रुत उनके रासायनिक प्रयोग के उल्लेख हैं। धन्वंतरि के संप्रदाय में सौ प्रकार की मृत्यु है। उनमें एक ही काल मृत्यु है, शेष अकाल मृत्यु रोकने के प्रयास ही निदान और चिकित्सा हैं।
आयु के न्यूनाधिक्य की एक-एक माप धन्वंतरि ने बताई है। पुरुष अथवा स्त्री को अपने हाथ के नाप से 120 उंगली लंबा होना चाहिए, जबकि छाती और कमर अठारह उंगली। शरीर के एक-एक अवयव की स्वस्थ और अस्वस्थ माप धन्वंतरि ने बताई है। उन्होंने चिकित्सा के अलावा फसलों का भी गहन अध्ययन किया है। पशु-पक्षियों के स्वभाव, उनके मांस के गुण-अवगुण और उनके भेद भी उन्हें ज्ञात थे। मानव की भोज्य सामग्री का जितना वैज्ञानिक व सांगोपांग विवेचन धन्वंतरि और सुश्रुत ने किया है, वह आज के युग में भी प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण है।
धनतेरस
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'धन्वन्तरि जयन्ती' के दिन धनतेरस का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस जयंती के सन्दर्भ में यह दिन धन और समृद्धि से सम्बन्धित है और लक्ष्मी-कुबेर की पूजा के लिए यह महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग धन-सम्पत्ति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कुबेर की भी पूजा करते हैं। भगवान कुबेर जिन्हें धन-सम्पत्ति का कोषाध्यक्ष माना जाता है और श्री लक्ष्मी जिन्हें धन-सम्पत्ति की देवी माना जाता है, की पूजा साथ में की जाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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