वसु व्रत: Difference between revisions

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Revision as of 11:05, 8 September 2010

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • इस व्रत में आठ वसुओं की, जो वास्तव में, वासुदेव के ही रूप हैं, की पूजा करनी चाहिए। यह चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर उपवास रखके करना चाहिए। एक वृत्त में खिंचे चित्र या प्रतिमाएँ की पूजा, अन्त में गौ दान करना चाहिए।
  • इससे धन, अनाज एवं वसुलोक की प्राप्ति होती है। आठ वसु ये हैं- घर, ध्रुव, सोम, आप, अनिल, अनल, प्रत्युष एवं प्रभास। [1]
  • इसमें पर्याप्त सोने के साथ गौ दान करना चाहिए। उस दिन केवल दुग्ध सेवन करना चाहिए।
  • कर्ता सर्वोत्तम लक्ष्य की उपलब्धि करता है और पुन: जन्म नहीं लेता है। [2] इसमें गौ दान की परमोच्च महत्ता है (इसे उभयतोमुखी कहा गया है)। महाग्रन्थ का मूल [3]

 

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अनुशासनपर्व (150|16-14), मत्स्यपुराण (5|21), ब्रह्माण्डपुराण (3|3|21)। हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 848-849, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)
  2. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 885, पद्मपुराण से उद्धरण)।
  3. (जिल्द 2, पृष्ठ 879)।

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