फलषष्ठी व्रत: Difference between revisions
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Revision as of 10:43, 11 September 2010
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- मार्गशीर्ष पंचमी से नियमों का पालन करना चाहिए।
- षष्ठी को सोने का कमल एवं एक स्वर्ण फल बनाया जाता है, षष्ठी को किसी मिट्टी या ताम्र के पात्र में गुड़ के साथ कमल एवं फल को रखा जाता है और पुष्प आदि से पूजा की जाती है, उपवास किया जाता है।
- सप्तमी को 'सूर्य मुझ पर प्रसन्न हों' के साथ उनका दान किया जाता है।
- आगे के पक्ष की पंचमी तक एक फल का त्याग करना चाहिए।
- यह व्रत एक वर्ष तक किया जाता है।
- प्रत्येक मास में सप्तमी को सूर्य के 12 नाम दुहराये जाते है।
- ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से कर्ता सभी पापों से मुक्त हो जाता है और सूर्यलोग में सम्मानित होता है [1]।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत0 1, 602-604, भविष्योत्तरपुराण 39|1-12 से उद्धरण)
सम्बंधित लिंक
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