शुक्र व्रत: Difference between revisions
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Revision as of 07:27, 7 December 2010
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- जब शुक्रवार ज्येष्ठा नक्षत्र से युक्त होता है, तो नक्त विधि से रहना।
- जब सप्तमी को ऐसा शुक्रवार हो तो पीतल या रजत के पात्र में शुक्र की स्वर्णिम प्रतिमा रखकर वस्त्रों, चन्दन लेप से पूजा की जाती है।
- प्रतिमा के समक्ष पायस एवं घी रखा जाता है और उसे 'शुक्र दुष्ट ग्रह प्रभावों को दूर करें तथा स्वास्थ्य एवं दीर्घ आयु दें' नामक प्रार्थना के साथ प्रतिमा सहित दान दे दिया जाता है।
- यह एक वारव्रत है।
- इसका देवता शुक्र है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 579-580, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण); और देखिए अग्नि पुराण (195-5)।
अन्य संबंधित लिंक
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