Difference between revisions of "पुष्यार्क द्वादशी"

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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है।  
 
*जब किसी [[द्वादशी]] पर [[सूर्य देवता|सूर्य]] [[पुष्य नक्षत्र]] में हो तो जनार्दन पूजा होनी चाहिए।  
 
*जब किसी [[द्वादशी]] पर [[सूर्य देवता|सूर्य]] [[पुष्य नक्षत्र]] में हो तो जनार्दन पूजा होनी चाहिए।  
 
*इस व्रत को करने से सभी पाप कटते हैं।  
 
*इस व्रत को करने से सभी पाप कटते हैं।  
 
*यदि द्वादशी पर पुष्य नक्षत्र न हो तो तब भी विधि करनी चाहिए।  
 
*यदि द्वादशी पर पुष्य नक्षत्र न हो तो तब भी विधि करनी चाहिए।  
*[[एकादशी]] को उपवास एवं द्वादशी को घृतपूर्ण पात्र का दान करना चाहिए <ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत0 351)</ref>; <ref>हेमाद्रि (व्रत0 1, 1176-1177)</ref>
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*[[एकादशी]] को उपवास एवं द्वादशी को घृतपूर्ण पात्र का दान करना चाहिए।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत0 351</ref>; <ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1176-1177</ref>
  
  
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Latest revision as of 12:52, 27 July 2011

  • bharat mean dharmik vratoan ka sarvavyapi prachar raha hai. yah hindoo dharm granthoan mean ullikhit hindoo dharm ka ek vrat sanskar hai.
  • jab kisi dvadashi par soory pushy nakshatr mean ho to janardan pooja honi chahie.
  • is vrat ko karane se sabhi pap katate haian.
  • yadi dvadashi par pushy nakshatr n ho to tab bhi vidhi karani chahie.
  • ekadashi ko upavas evan dvadashi ko ghritapoorn patr ka dan karana chahie.[1]; [2]


tika tippani aur sandarbh

  1. krityakalpataru (vrat0 351
  2. hemadri (vratakhand 1, 1176-1177

sanbandhit lekh