Difference between revisions of "ब्रह्मकूर्च व्रत"
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− | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में | + | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है। |
*[[कार्तिक]] [[कृष्ण पक्ष|कृष्ण]] [[चतुर्दशी]] पर यह व्रत किया जाता है। | *[[कार्तिक]] [[कृष्ण पक्ष|कृष्ण]] [[चतुर्दशी]] पर यह व्रत किया जाता है। | ||
*उपवास एवं पंचगव्य (विभिन्न रंगों वाली गायों से मूत्र, गोबर, दूध, दही एवं घृत) लिया जाता है। | *उपवास एवं पंचगव्य (विभिन्न रंगों वाली गायों से मूत्र, गोबर, दूध, दही एवं घृत) लिया जाता है। | ||
*दूसरे दिन देव एवं ब्राह्मणों की पूजा और तब भोजन ग्रहण किया जाता है। | *दूसरे दिन देव एवं ब्राह्मणों की पूजा और तब भोजन ग्रहण किया जाता है। | ||
− | *ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी पाप कट जाते हैं।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 147, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण | + | *ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी पाप कट जाते हैं।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 147, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण</ref> |
*चतुर्दशी को उपवास किया जाता है। | *चतुर्दशी को उपवास किया जाता है। | ||
*[[पूर्णिमा]] को पंचगव्य ग्रहण तथा हविष्य भोजन करना चाहिए। | *[[पूर्णिमा]] को पंचगव्य ग्रहण तथा हविष्य भोजन करना चाहिए। | ||
− | *एक [[वर्ष]] के प्रत्येक [[मास]] में यह व्रत किया जाता है।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 238, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण | + | *एक [[वर्ष]] के प्रत्येक [[मास]] में यह व्रत किया जाता है।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 238, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण</ref>; <ref>किन्तु यहाँ अमावस्या एवं पूर्णिमा पर दो बार; हेमाद्रि (व्रत0 2, 937, वराहपुराण से उद्धरण</ref> |
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Latest revision as of 12:54, 27 July 2011
- bharat mean dharmik vratoan ka sarvavyapi prachar raha hai. yah hindoo dharm granthoan mean ullikhit hindoo dharm ka ek vrat sanskar hai.
- kartik krishna chaturdashi par yah vrat kiya jata hai.
- upavas evan panchagavy (vibhinn rangoan vali gayoan se mootr, gobar, doodh, dahi evan ghrit) liya jata hai.
- doosare din dev evan brahmanoan ki pooja aur tab bhojan grahan kiya jata hai.
- aisi manyata hai ki is vrat ko karane se sabhi pap kat jate haian.[1]
- chaturdashi ko upavas kiya jata hai.
- poornima ko panchagavy grahan tatha havishy bhojan karana chahie.
- ek varsh ke pratyek mas mean yah vrat kiya jata hai.[2]; [3]
tika tippani aur sandarbh
sanbandhit lekh
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